अजमेर. महिला इंजीनियरिंग कॉलेज के शिक्षकों और विद्यार्थियों की ओर से कॉलेज के सामने दिए जा रहे धरने का सोमवार को लगातार चौथा दिन था. धरने के बारे में जानकारी देते हुए इंजीनियरिंग कॉलेज के सहायक आचार्य सौरभ महेश्वरी ने बताया कि सरकार की ओर से हमेशा से ही इंजीनियरिंग के छात्रों और शिक्षकों के साथ भेदभाव किया जाता रहा है.
अजमेर में शिक्षकों और विद्यार्थियों का घरना बीए, बीकॉम, बीएससी जैसे कोर्स की फीस कम रखी जाती है, जबकि इंजीनियरिंग की फीस काफी ज्यादा होती है. कॉलेज को सरकार की तरफ से कोई ग्रांट नहीं मिलती है, जिसकी वजह से शिक्षकों की सैलरी पूरी तरह से स्टूडेंट की फीस पर ही निर्भर करती है. शिक्षकों के प्रमोशन ड्यू पड़े हैं, उन्हें एरियर नहीं मिल रहा. कॉलेज के भी खर्च लगातार बढ़ रहे हैं. ऐसे में कॉलेज के पास जो फंड है उससे सिर्फ इस महीने की सैलरी का भुगतान ही संभव है.
इस वजह से इंजीनियरिंग कॉलेज के शिक्षकों द्वारा सरकार से मांग की गई है कि वे कॉलेज को पूर्ण सरकारी बनाते हुए कॉलेज के समस्त खर्चा और शिक्षकों की सैलरी की जिम्मेदारी खुद पर ले. वहीं इस वक्त इंजीनियरिंग कॉलेज के विद्यार्थियों की ओर से भी एग्जाम सेंटर में बदलाव की मांग को लेकर धरना दिया जा रहा है. शिक्षकों और विद्यार्थियों का कहना है कि उन्हें सरकार और यूनिवर्सिटी की तरफ से कोई सहयोग नहीं मिल रहा है.
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स्टूडेंट्स का एग्जाम सेंटर इस बार सैंट विलफ्रेड कॉलेज को बनाया गया है जिसकी वजह से विद्यार्थियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में उनकी मांग है की स्टूडेंट्स को उनके पुराने एग्जाम सेंटर ही उपलब्ध कराए जाएं, ताकि स्टूडेंट्स को भी परेशानियों का सामना ना करना पड़े.