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अजमेर दरगाह को खोलने को लेकर दरगाह कमेटी और खादिमों की हुई बैठक

अजमेर की सूफी संत ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह 7 सितंबर से खुलने जा रही है. जिसको लेकर शुक्रवार को महफिल खाने में दरगाह कमेटी और खादिमों से जुड़ी संस्थाओं की बैठक हुई. जिसमें दरगाह शरीफ को खोलने पर विचार विमर्श किया गया.

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7 सितंबर से खुलेगी सूफी संत ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह

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Published : Sep 4, 2020, 9:32 PM IST

अजमेर.प्रदेश में सरकार ने गाइडलाइन जारी कर7 सितंबर सभी धार्मिक स्थलों को खोलने की अनुमति दे दी है. इसी को लेकर शुक्रवार को महफिल खाने में दरगाह कमेटी और खादिमों से जुड़ी संस्थाओं की बैठक हुई. जिसमें दरगाह शरीफ को खोलने पर विचार विमर्श किया गया.

7 सितंबर से खुलेगी सूफी संत ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह

7 सितंबर को खोली जाएगी दरगाह...

दरगाह शरीफ को खोलने के लिए ही शुक्रवार को बैठक का आयोजन किया गया. जिसमें खादिमो की संस्था अंजुमन सैयदजादगान, शेख जादगान और दरगाह दीवान मौजूद रहे. इस बैठक में निर्णय लिया गया की दरगाह को 7 सितंबर को खोल दिया जाएगा. साथ ही चर्चा की गई कि किस तरह से सरकार की गाइडलाइन का पालन किया जाना चाहिए.

खादिम मोइन सरकार ने बताया कि, 20 मार्च को कोरोना संक्रमण के चलते दरगाह शरीफ को बंद किया गया था. उस वक्त कोरोना संक्रमण के मामूली मामले सामने आए थे. शुक्रवार को बैठक हुई में ये निर्णय लिया गया कि, 5 महीने बीत चुके हैं लेकिन कोरोना संक्रमण मामलों पर अभी तक किसी भी प्रकार का काबू नहीं पाया गया. वहीं, दरगाह शरीफ बंद होने के बाद खादिम समुदाय के लोग तो परेशान है ही लेकिन 20 हजार लोग ऐसे भी हैं, जिनकी रोजी-रोटी सीधे तौर पर ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह से जुड़ी हुई है.

उन्होंने कहा कि ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह को जब खोला जाए तो, सभी गेट खोले जाएं. कोरोना जैसी महामारी के बीच सभी गेटों को खोलना जरूरी है. अगर एक गेट को खोला जाता है तो भीड़ जमा हो जाएगी. जिससे लोगों को आने जाने में भी परेशानी का सामना करना पड़ेगा. साथ ही राजस्थान सरकार की तरफ से जारी गाइडलाइन का भी सही तरह से पालन किया जाए.

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खादिमों से जुड़ी संस्था का कहना है कि, फूल और चादर की दुकानों को भी बंद नहीं किया जाएगा. क्योंकि ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह पर आने वाला जायरीन फूल और चादर ही पेश करने आते हैं. अगर उन्हीं दुकानों को बंद कर दिया जाएगा तो, ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह पर जायरीन के आने का कोई भी औचित्य नहीं है. उनकी आस्था इसी से जुड़ी है कि ख्वाजा गरीब नवाज के दरबार में जाकर गुलाब के फूलों को भेंट करें.

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