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Ajmer Dargah Urs 2022: कायड़ विश्राम स्थली में बसा जायरीन का गांव, रहने-खाने सहित तमाम सुविधाएं मौजूद - Ajmer Sharif 810th Urs completes

अजमेर में सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के 810वें उर्स में जायरीनों के ठहरने के लिए कायड़ विश्राम स्थली (Kayad Vishram Sthali Ajmer) जायरीनों के गांव जैसी नजर आ रही है. यहां जायरीन के आवास, भोजन, चिकित्सा सहित तमाम सुविधाएं मुहैया करवाई गई हैं.

Ajmer Dargah Urs 2022
अजमेर दरगाह का 810वां सालाना उर्स

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Published : Feb 8, 2022, 8:08 PM IST

Updated : Feb 9, 2022, 9:00 AM IST

अजमेर.सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के 810वें उर्स में हाजरी देने के लिए देश के कोने-कोने से जायरीन अजमेर में हैं. यहां कायड़ विश्राम स्थली में जायरीन के ठहरने की व्यवस्था की गई है. विश्राम स्थली पर बनी इमारतों के अलावा बड़ी संख्या में जायरीन कैंप में रह रहे हैं. कायड़ विश्राम स्थली जायरीन का गांव जैसी नजर आती है. 11 फरवरी को ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह में बड़े कुल की रस्म होगी.

ख्वाजा गरीब नवाज के उर्स के मौके पर आखरी दो दिनों में जायरीन की संख्या हजारों से लाखों में पहुंच गई है. राज्य सरकार की ओर से नाइट कर्फ्यू हटाने और कोरोना गाइडलाइन में छूट के चलते जायरीनों की संख्या बढ़ी है. विगत दो वर्षों से कोरोना की वजह से उर्स के मौके में शामिल नहीं हो पाने वाले जायरीन भी इस बार ख्वाजा के दर पहुंचे हैं.

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कायड़ विश्राम स्थली पर जायरीन के आवास, भोजन सहित कई तरह की सहूलियत दी गई हैं. यहां बनी बड़ी इमारतों में जायरीन ठहरे हुए हैं. जिन जायरीन को जगह नहीं मिल पाई, वे रियायती दरों पर मिल रहे टेंटों में रह रहे हैं. विश्राम स्थली में हर जरूरत की चीज के लिए बाजार है. वहीं स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के लिए 24 घंटे मेडिकल टीमें हैं. सुरक्षा की दृष्टी से 24 घंटे पुलिसकर्मी तैनात हैं. जायरीन को भोजन बनाने के लिए चूल्हा और गैस सिलेंडर भी रियायती दर पर दिए गए हैं. कई लोग लंगर भी चला रहे हैं. जहां गरीब तबके के लोगों को निशुल्क भोजन उपलब्ध करवाया जा रहा है. कायड़ विश्राम स्थली से बस स्टैंड और बस स्टैंड से विश्राम स्थली तक आवागमन के लिए रोडवेज बसें लगाई गई हैं.

कायड़ विश्राम स्थली में बसा जायरीन का गांव

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हरियाणा से आये जायरीन मोहम्मद इरशाद बताते है कि विविधता में एकता यह हमारे देश की पहचान है. जब ख्वाजा गरीब नवाज स्माल तो मैं आए थे, तो उन्होंने भाईचारा और प्यार का संदेश दिया था, जो आज भी दरगाह से दिया जा रहा है. विश्राम स्थली में हर जरूरत की सहूलियत स्थानीय प्रशासन और पुलिस की ओर से उपलब्ध करवाई गई है. लखनऊ से आए जायरीन मोहम्मद काफिल सिद्धकी बताते हैं कि दरगाह से प्रेम और भाईचारे का संदेश लेकर जाएंगे और सबको बताएंगे कि इंसानियत ही सबसे बड़ा धर्म है. कायड़ विश्राम स्थली में किसी तरह की कोई तकलीफ नहीं है.

Last Updated : Feb 9, 2022, 9:00 AM IST

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