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21 साल पहले बाबूलाल सिंगारिया पर लगा था एसपी को थप्पड़ मारने का आरोप, अब इन अधिकारियों के होंगे बयान

30 जून, 2001 को केकड़ी से कांग्रेस के तत्कालीन विधायक बाबूलाल सिंगारिया पर तत्कालीन एसपी आलोक त्रिपाठी को थप्पड़ मारने का आरोप लगा (Slap case against ex MLA Babulal Singariya) था. इस मामले में उन पर केस दर्ज हुआ. उन्होंने भी अपने बचाव में मामला दर्ज करवाया. अब इस मामले में सुनवाई शुरू हुई है. अदालत ने तत्कालीन कलेक्टर उषा शर्मा को 4 अप्रैल को तलब किया था. उनके पेश नहीं होने पर 6 अप्रैल को अगली सुनवाई रखी है.

SP slapped by ex MLA case hearing on 6th April
21 साल पहले बाबूलाल सिंगारिया पर लगा था एसपी को थप्पड़ मारने का आरोप, अब इन अधिकारियों के होंगे बयान

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Published : Apr 4, 2022, 6:41 PM IST

अजमेर.30 जून, 2001 को कलेक्ट्रेट सभागार में कांग्रेस के तत्कालीन विधायक बाबूलाल सिंगारिया पर तत्कालीन एसपी आलोक त्रिपाठी को थप्पड़ मारने का आरोप लगा था. इस मामले की 21 वर्ष बाद फिर से गूंज सुनाई पड़ रही है. मामले में सोमवार को अजमेर की पीसीपीएनडीटी की विशेष कोर्ट में सुनवाई थी. मामले में तत्कालीन अजमेर कलेक्टर एवं वर्तमान में राजस्थान की मुख्य सचिव उषा शर्मा भी गवाह हैं. जानकारी के मुताबिक मामले में कोर्ट ने अगली सुनवाई 6 अप्रैल को (SP slapped by ex MLA case hearing on 6th April) है.

इस मामले में पुलिस ने अनुसंधान के बाद 30 गवाह बनाए थे. इनमें से 9 गवाहों के बयान कोर्ट में हो चुके है. बता दें कि मामले में अदालत ने राज्य के मुख्य सचिव एवं तत्कालीन कलेक्टर उषा शर्मा को 4 अप्रैल को तलब किया था. गवाह के कोर्ट में पेश नहीं होने पर कोर्ट ने 6 अप्रैल को अगली सुनवाई रखी है. संभवत 6 अप्रैल को सीएस के कोर्ट में गवाह के तौर पर बयान होंगे. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के जनप्रतिनिधियों के आचरण से संबंधित मुकदमों को जल्द निपटाने के निर्देश पर सिंगारिया के प्रकरण की फाइल पर सुनवाई शुरू हुई है. सुप्रीम कोर्ट ने 1 साल में प्रकरण की सुनवाई को पूर्ण करने और अदालती कार्रवाई की नियमित प्रगति रिपोर्ट उनके पास भेजने के निर्देश दिए हैं.

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यह था मामला: 30 जून, 2001 को कलेक्ट्रेट सभागार में जन अभाव अभियोग और सतर्कता समिति की बैठक में बाबूलाल सिंगारिया ने तत्कालीन पुलिस अधीक्षक से कुछ जानकारी मांगी थी. इस दौरान सिंगारिया ने आपा खो दिया और पुलिस अधीक्षक को थप्पड़ मार दिया था. बीच-बचाव करने आए तत्कालीन अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक वासुदेव भट्ट की वर्दी भी फाड़ दी थी. तत्कालीन गहलोत सरकार ने घटना को गंभीरता से लेते हुए सिंगारिया को पार्टी से निष्कासित कर दिया था. हालांकि सिंगारिया ने अलग से मुकदमा दर्ज करवा कर प्रशासन पर दबाव बनाने का प्रयास किया था. सिंगारिया के खिलाफ अजमेर के सिविल लाइंस थाने में मुकदमा दर्ज हुआ था. इस मामले में अदालत में सुनवाई विचाराधीन थी. सिंगारिया ने अलग-अलग बिंदुओं को उजागर करते हुए बचाव के लिए हाईकोर्ट की शरण ली थी, जिससे सुनवाई रुक गई थी.

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सिंगारिया ने 8 वर्ष पहले भाजपा के ले ली थी सदस्यता: सन 1998 में सिंगारिया ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीता था. 2003 में वह भाजपा प्रत्याशी गोपाल लाल धोबी से चुनाव हार गए थे. 2008 में केकड़ी की सीट सामान्य हुई, तब कांग्रेस से डॉ रघु शर्मा को टिकट मिला था. तब सिंगारिया ने बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ा, लेकिन वह हार गए. सन 2013 के विधानसभा चुनाव में एनसीपी के टिकट पर सिंगारिया ने फिर से केकड़ी से चुनाव लड़ा. उस वक्त 17 हजार 500 मत हासिल कर सिंगारिया अपने विरोधी डॉ रघु शर्मा की हार का कारण बने. इसके बाद सिंगारिया ने बीजेपी का दामन थाम लिया. बीजेपी की सदस्यता लेने के बाद 1 वर्ष तक वह बीजेपी के कार्यक्रमों में नजर आते रहे, लेकिन उसके बाद उन्होंने राजनीति से दूरी बना ली थी.

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