अजमेर.प्रदेश में सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच की खींचतान का असर कांग्रेसी कार्यकर्ता महसूस करते आ रहे थे. हर जिले में पायलट और गहलोत के अलग-अलग गुट बन गए थे. अजमेर से सचिन पायलट दो बार लोकसभा का चुनाव लड़ चुके हैं. ऐसे में जिले में कई कांग्रेसी नेता उनके समर्थक बन गए, लेकिन वर्तमान परिदृश्य को देखते हुए अजमेर में पायलट समर्थक खामोश हो गए. रोज खुलने वाले शहर कांग्रेस कमेटी के दफ्तर पर ताला लग गया है.
पायलट समर्थक पशोपेश की स्थिति में... दरअसल, शहर कांग्रेस अध्यक्ष विजय जैन, सचिन पायलट के ही कहने से पार्टी के दफ्तर आते हैं. वहीं, देहात कांग्रेस अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह राठौड़ को भी पायलट ने ही नवाजा था. ऐसे में पायलट की प्रदेश अध्यक्ष से छुट्टी होने पर अब अजमेर में कांग्रेस के शहर और देहात अध्यक्ष ही नहीं, बल्कि कई वरिष्ठ नेताओं के सामने विकट स्थिति खड़ी हो गई है. जब तक पायलट प्रदेश अध्यक्ष रहे, तब तक अजमेर संगठन में उनके समर्थकों का ही बोल-बोला रहा. जबकि गहलोत खेमे के नेता धैर्य के साथ चुप बैठे रहे, लेकिन वक्त के करवट लेते ही अब गहलोत खेमे के नेता और कार्यकर्ता अजमेर में राहत की सांस ले रहे हैं.
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पूर्व मंत्री एवं प्रदेश कांग्रेस के महासचिव ललित भाटी ने तो इतना तक कह दिया है कि राजस्थान में कांग्रेस को सचिन पायलट ने पैदा नहीं किया है. कांग्रेस उनके जन्म से पहले की पार्टी है और हर गांव ढाणी में कांग्रेस विचारधारा का कार्यकर्ता मौजूद है. भाटी ने कहा कि पायलट को यह गलतफहमी हो गई थी कि उनके बूते इस बार राजस्थान में सत्तारूढ़ हुई है. अजमेर में सचिन पायलट के समर्थक कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं को जबरदस्त झटका लगा है. यही वजह है कि फिलहाल कोई भी सामने नहीं आ रहा है.
बता दें कि आगामी नगर निगम एवं पंचायत चुनाव में पायलट खेमे के लोगों को इस बार टिकट को लेकर काफी उम्मीदें थी. लेकिन पायलट के फैसले से उनकी सारी उम्मीदों पर पानी फिर गया है. प्रदेश कांग्रेस महासचिव ललित भाटी ने कहा कि महत्वाकाक्षां के चलते पायलट ने जो निर्णय लिया है, उससे पार्टी को नुकसान होगा. उन्होंने कहा कि कोविड- 19 में गहलोत सरकार के बेहतरीन काम की वजह से सीएम अशोक गहलोत का कद पूरे देश में बढ़ा है, जो भाजपा को नहीं पच रहा. ऐसे में भाजपा ने कांग्रेस में कुछ महत्वाकांक्षी लोगों को कंधा बनाकर इस चुनावी सरकार को अस्थिर करने के लिए जो घटिया चाल चली है, वह लोकतंत्र के लिए शुभ नहीं है. अजमेर में पायलट समर्थकों के बीच खामोशी है और अपने राजनैतिक भविष्य को लेकर चिंता भी है. फिलहाल सभी की निगाहें सचिन पायलट के अगले निर्णय पर टिकी हुई हैं.