अजमेर.अजमेर में शिशाखान इलाके में स्थित एक गुफा सदियों बाद भी पहेली बनी हुई है. आज तक इसको कोई हल नहीं कर सका है. गुफा को लोग शिशाखान गुफा या ठंडी गुफा के नाम से जानते हैं. मगर यह कोई नहीं जानता कि गुफा का दूसरा छोर कहां खुलता है. क्षेत्र के कुछ लोगों ने गुफा में जाने की कोशिश भी की लेकिन कुछ दूर जाने के बाद उनके हौसले पस्त हो गए. गुफा के बारे में कई तरह की किंवदंतियां भी प्रचलित हैं जिन पर विश्वास करना वर्तमान दौर में मुमकिन नहीं है.
शिशाखान क्षेत्र में ठंडी गुफा के रहस्य या यूं कहें तिलिस्म को कोई तोड़ नहीं पाया है. बताया जाता है कि अजमेर के चौहान वंश की तीसरी पीढ़ी के राजा अजयपाल ने तारागढ़ का निर्माण करवाया था. शिशाखान गुफा भी उस वक्त की ही बताई जाती है, लेकिन इसके मुहाने पर स्थित द्वार बाद में बना है. गुफा के ठीक पीछे तारागढ़ पहाड़ी है, जहां कभी तारागढ़ किला हुआ करता था. अमूमन जो गढ़ होते हैं वह किलों से बाहर निकलने के लिए एक गुप्त मार्ग के रूप में बनाए जाते हैं. संभवतः शिशाखान की गुफा भी तारागढ़ से जुड़ी हो.
यह भी पढ़ें:Special: सरकार पर्यटन विकास भूली सरकार तो, अब युवाओं ने संभाली इन झीलों को सवारने की जिम्मेदारी..
क्षेत्र के लोग शिशाखान गुफा के बारे में ऐसा भी बताते हैं कि विश्वास करना भी मुश्किल होता है. बताते हैं कि गुफा इतनी लंबी है कि इसके अगले छोर तक कोई व्यक्ति नहीं पहुंच पाया. कुछ लोगों ने प्रयास किया लेकिन गुफा के भीतर कुओं तक ही पहुंच पाए. गुफा के भीतर 7 कुएं बताए जाते हैं. इसके आगे का मार्ग इतना संकरा है कि लेट कर आगे जाना होता है. इसके बाद एक बड़ा चौक आता है, जहां से कई रास्ते निकलते हैं. लोगों का कहना है कि इनमें एक रास्ता दिल्ली और दूसरा आगरा तक जाता है.