अजमेर. पुष्कर में मां दुर्गा का 27वां शक्तिपीठ है जिसका नाम मणिवैदिका (Durga Shaktipeeth In Pushkar) है. जगतपिता ब्रह्मा की पत्नी सावित्री माता की पहाड़ी और नाग पहाड़ी के बीच में पुरुहुता पर्वत है जहां स्कंद पुराण अनुसार माता का ये शक्तिपीठ स्थित है. स्थानीय लोग माता को चामुंडा माता के नाम से पुकारते हैं. शक्तिपीठ स्थल की सुरक्षा के लिए यहां सर्वानंद भैरव भी विराजमान हैं. स्कंद पुराण के मुताबिक पुरुहुता पर्वत पर माता की दोनों कलाइयां गिरी थीं. इससे पहाड़ के बीचों बीच गहरी खाई उभर आई थीं.
उस दुर्गम स्थान तक पहुंचना काफी मुश्किल था. भक्त परेशान हो गए. एक बुजुर्ग भक्त की भक्ति मां को रास आ गई. कहते हैं उन्होंने अरदास मान ली और प्रसन्न होकर पहाड़ी की तलहटी में विराजमान हो गईं. ये स्थान सदियों तक गुप्त और अज्ञात रहा. आज के दौर में भी देश के कोने कोने से ब्रह्मनगरी आने वाले श्रद्धालुओं को मणिवैदिका शक्तिपीठ की जानकारी कम ही है. इस वजह से शक्तिपीठ पर भक्तों का तांता कम ही लगता है. ज्यादातर यहां के रहवासी ही पधारते हैं.
अब कोशिश इसको रिवाइव करने की हो रही है. 27वें शक्तिपीठ (27th Durga Shaktipeeth) के विकास को लेकर लोग सजग हो रहे हैं. मंदिर के महंत और माता के भक्त समर्पित भाव से जुट गए हैं. मंदिर के महंत दिगंबर ओमेंद्र पुरी शिकायत भरे अंदाज में अपनी बात रखते हैं. कहते हैं स्थानीय प्रशासन और निकाय से कई बार आग्रह कर चुके हैं कि माता के शक्तिपीठ के लिए पुष्कर के प्रमुख मार्गों पर दिशा बोधक चिन्ह लगवाएं ताकि पुष्कर तीर्थ करने आने वाले श्रद्धालुओं को भी माता के शक्तिपीठ के दर्शन लाभ हो और वो पुण्य फल के भागी हों.
यूं स्थापित हुए शक्तिपीठ:27 वें शक्तिपीठ के बारे में आपको और बताएं उससे पहले आपको शक्ति पीठ की ये कथा भी जानना जरूरी है. पौराणिक कथाओं के अनुसार महादेव की पत्नी सती ने ससुराल में अपने पति का अपमान किए जाने से क्रोधित होकर अग्निकुंड में अपनी देह त्याग दी थी. तब महादेव माता सती की देह को हाथों में उठा कर रौद्र रूप ले ब्रह्मांड में भटकने लगे. तब भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती की देह के टुकड़े कर दिए. सती की देह का टुकड़ा पृथ्वी पर जहां भी गिरा वह स्थान शक्तिपीठ बन गया. पुष्कर में पुरुहूता पर्वत पर माता के मणिबंध यानी कलाइयों का पतन हुआ. स्कंद पुराण में पुष्कर में पुरुहूता पर्वत पर माता के 27 शक्तिपीठ होने का उल्लेख है.