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अजमेर : सात माह की मासूम को बीड़ी से तीन बार दागा, हालत गंभीर - अजमेर ब्यावर न्यूज

अजमेर के ब्यावर में अंधविश्वास का एक ओर मामला सामने आया है. पचानपुरा गांव में सात माह की मासूम के शरीर पर भोपी ने बीड़ी से दाग दिया. जिससे बच्ची की तबियत ओर खराब हो गई. परिजनों ने मासूम को राजकीय अमृतकौर अस्पताल में भर्ती करवाया है जहां उसका उपचार जारी है.

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Published : Aug 30, 2019, 3:27 AM IST

ब्यावर (अजमेर). पिछले कुछ माह में ब्यावर और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में इलाज के नाम पर मासूमों को दागने के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. ऐसा ही एक मामला गुरुवार को फिर सामने आया. जहां ब्यावर से सटे पाली जिला क्षेत्र के पचानपुरा गांव में एक सात माह की मासूम को परिजनों ने निमोनिया में सुधार नहीं होने पर एक कथित भोपी को दिखाया.

सात माह की मासूम को बीड़ी से तीन बार दागा

महिला भोपी ने मां के सामने सात माह की दूधमुहीं मासूम को तीन बार दाग दिया. जिसके बाद भी स्थिति में सुधार नहीं हुआ, उल्टा दागने से मासूम को इंफेक्शन हो गई. जिससे उसकी तबीयत बिगड़ने लगी जिस पर परिजनों ने मासूम को राजकीय अमृतकौर अस्पताल में भर्ती करवाया.

परिजन नहीं बता रहे भोपी की पहचान
उक्त मामले में परिजन ना तो भोपी का नाम बता रहे हैं और ना ही उसके बारे में कोई और जानकारी दे रहे हैं. जानकारी के अनुसार रायपुर के पचानपुरा निवासी ढ़गलाराम की सात माह की पुत्री भावना को निमोनिया की शिकायत थी. स्थिति में सुधार नहीं होने पर भावना की माता लीला उसे गांव से कुछ दूरी पर किसी भोपी के पास ले गई. जहां भोपी ने मासूम भावना को उपचार के नाम पर बीड़ी पीते हुए ही एक बार नहीं तीन बार दाग दिया.

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दागने के कारण हुए दर्द और पीड़ा से जहां मासूम कराहते हुए रोने लगी तो वहीं उसके पास ही बैठी उसकी मां लीला को उम्मीद बंधी की अब उसकी पुत्री की तबीयत में सुधार हो जाएगा. लेकिन, मासूम की स्थिति सुधरने की बजाय और ज्यादा बिगड़ गई. जिसके बाद परिजनों ने उसे अस्पताल में भर्ती करवाया.

पिछले छह माह में आए दागने के आधा दर्जन मामले

गौरतलब है कि पिछले छह माह में एकेएच अस्पताल में गर्म सरिए से दागने के आधा दर्जन से अधिक मामले सामने आ चुके हैं. अंधविश्वास से ग्रस्त लोग यह नहीं समझ पाते कि बीमारी से ग्रस्त मासूम को दागना मासूम के लिए खतरनाक साबित हो सकता है.

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शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. एमएस चांदावत ने बताया कि निमोनिया से ग्रस्त मासूम को दागना जानलेवा हो सकता है. ऐसे में मासूमों का उपचार नहीं करवा कर बच्चे को दागने से सेप्टीसीमिया और तार से दागने से टिटनेस जैसे जानलेवा संक्रमण का भी खतरा बढ़ जाता है. किशोर अधिनियम 15 के तहत बच्चों पर इस तरह की क्रूरता करने पर कार्रवाई का प्रावधान है. इसमें तीन साल की सजा और एक लाख के जुर्माने का प्रावधान है.

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