अजमेर.अजमेर में विश्व विख्यात सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती 810वें उर्स का आगाज हो चुका है. इसके साथ ही दरगाह में पारंपरिक रस्में निभाई जा रही हैं. उर्स के खास मौके पर हाजरी लगाने के लिए जायरीन का भी आना शुरू हो चुका है. दरगाह कमेटी ने उर्स 2022 को लेकर कार्यक्रम भी जारी किया है.
देश और दुनिया में सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के करोड़ों चाहने वाले हैं. ख्वाजा के चाहने वालों को उर्स का बेसब्री से इंतजार रहता है. रजब का चांद दिखने की घोषणा के बाद ही सही, जायरीन गरीब नवाज में हाजिरी देने के लिए निकल पड़ते हैं. इसके साथ ही उर्स के दौरान निभाई जाने वाली रस्में भी शुरू हो चुकी हैं. आस्ताने में खिदमत का समय में बदलाव किया गया है. वहीं दरगाह में स्थित महफिल खाने में दरगाह दीवान की सदारत में देर रात महफिल भी हो रही है.
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कोरोना गाइडलाइन के मुताबिक रात्रि 8 बजे बाद धार्मिक स्थल पर लोगों का रुकना निषेध है. ऐसे में कोरोना गाइडलाइन की पालना भी करवाई जा रही है. उर्स के मौके पर दरगाह कमेटी की ओर से कार्यक्रम जारी किया गया है. 3 फरवरी को पहले रजक की तारीख में रात 11 बजे महफिले समा होगी. इसमें शाही कव्वाल सूफियाना कलाम पेश करेंगे. रात्रि को ही ख्वाजा गरीब नवाज की मजार को गुसल दिया जाएगा. वहीं सुबह 4 बजे अकदस और फातहा होगी. 7 फरवरी तक यह रस्में दरगाह में निभाई जाएंगी. इस दिन ही आधी रात से गुलाब जल केवड़े से जायरीन दरगाह की धुलाई करेंगे.