अजमेर. राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (Board of Secondary Education Rajasthan) में हुए 72 लाख रुपए के रद्दी घोटाले के मामले में विभागीय जांच में तीन अफसरों को क्लीनचिट (RBSE fraud case clean chit to 3 officers) देने से बोर्ड कर्मचारियों में रोष व्याप्त है. बोर्ड कर्मचारियों का आरोप है कि यह प्राकृतिक न्यायिक सिद्धान्तों के खिलाफ बोर्ड प्रशासन ने निर्णय लिया है. जबकि प्रकरण में 6 कार्मिक के खिलाफ विभागीय जांच चल रही थी. इसमें तीन अफसरों को क्लीन चिट देना और तीन कार्मिकों के विरुद्ध जांच लंबित रखना न्यायोचित नहीं है.
बोर्ड कार्मिकों ने विरोध स्वरूप बोर्ड प्रशासन के आदेश को जलाकर विरोध जताया है. राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड मंत्रलायिक कर्मचारी संघ के कार्यकारी अध्यक्ष कैलाश चंद खंडेलवाल ने बताया कि बोर्ड में परीक्षा के बाद उत्तर पुस्तिकाओं की रद्दी की निविदाएं निकाली जाती है. सन 2015 में उत्तर पुस्तिकाओं की रद्दी के लिए निविदाएं निकाली गई थी. बोर्ड स्तर पर इसके लिए तीन अधिकारियों की समिति बनाई थी. समिति ने 6 कार्मिकों को रद्दी के निस्तारण के लिए नियुक्त किया था.
225 टन रद्दी फॉर्म से उठवाई...
कैलाश चंद खंडेलवाल ने बताया कि मल्टीपल पीपल्स एंड बोर्ड मिल्स प्राइवेट लिमिटेड को निविदा जारी की गई थी. तीन स्तरीय बोर्ड की समिति की ओर से 6 कार्मिकों को नियुक्त किया गया था. इन कार्मिकों ने 225 टन रद्दी फॉर्म से उठवाई, जिससे बोर्ड को 50 लाख रुपए की आय हुई. जबकि रद्दी की अनुमानित वजन 590 मेट्रिक टन था, जिसकी राशि एक करोड़ 20 लाख रुपए थी. बोर्ड को इससे 72 लाख रुपए का राजस्व नुकसान उठाना पड़ा था. उन्होंने बताया कि संबंधित कार्मिकों के विरुद्ध कार्रवाई (Action against RBSE employees) करते हुए बोर्ड ने विभागीय जांच के लिए एक सेवानिवृत्त न्यायिक अधिकारी को नियुक्त किया था. साथ ही 6 कार्मिकों के खिलाफ संबंधित सिविल लाइंस थाने में मुकदमा दर्ज करवाया था.