अजमेर.हिमालय क्षेत्र में उगने वाला सिंदूर का पेड़ रेगिस्तान में पाया जाना दुर्लभ ही है. लेकिन, जिले के कुंदन नगर इलाके में जाटोलिया परिवार के यहां सिंदूर का पेड़ लगा हुआ है. यह पेड़ लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. यही वजह है कि लोग कुदरती सिंदूर लेने पेड़ मालिक के पास आते हैं, इतना ही नहीं लोग पेड़ को पवित्र मानने लगे हैं और दीपावली पर इसकी विशेष पूजा भी की जाती है.
बिरले ही लोग जानते होंगे कि सिंदूर को बनाया नहीं जाता है, बल्कि यह कुदरत की देन है. जी हां, सिंदूर के पेड़ को कलीमा भी कहा जाता है, जो सामान्यतः पहाड़ी क्षेत्रों में ही पाया जाता है. लेकिन अजमेर के जाटोलिया परिवार में राजस्थान का एकमात्र सिंदूर का पेड़ लगा हुआ है. पेड़ लोगों के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है. लोग पेड़ को पवित्र भाव से देखते हैं और इससे मिलने वाले फल को अपने साथ ले जाते हैं.
पेड़ के मालिक को नहीं पता था, पेड़ सिंदूर का है
पेड़ के मालिक अशोक जाटोलिया बताते हैं कि 3 साल पहले तक उन्हें पता ही नहीं था, कि यह पेड़ सिंदूर का है. 3 वर्ष पहले जब पेड़ पर फल आने लगे, तब पड़ताल करने पर उन्हें इसके बारे में पता चला.
जब से सिंदूर के पेड़ के बारे में लोगों को पता चला तब से कोई बालाजी के लगाने, कोई गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए पेड़ से फल ले जाता है. लेकिन, लाल सुर्ख सिंदूर के लिए फल के पकने का इंतजार करना पड़ता है. फल के भीतर निकलने वाले बीच के सूखने के बाद इस रंग लाल या महरून हो जाता है.