अजमेर. अगस्त 2015 में हाइकोर्ट ने इस याचिका की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार और अजमेर नगर निगम को नोटिस जारी करते हुए शहर की चारदीवारी के भीतर जर्जर भवनों को हटाने या भवन मालिकों को जर्जर भवन हटाने के लिए नोटिस जारी करने के आदेश जारी किए थे. 6 वर्ष बीतने के बाद भी नगर निगम जर्जर भवनों को नहीं हटवा पाया है. जिसके बाद कोर्ट ने इस ओर सख्त रुख अख्तियार किया है.
दरअसल, अजमेर शहर में चारदीवारी क्षेत्र में जर्जर भवनों के खिलाफ नगर निगम की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई. मानसून से पूर्व डेढ़ सौ जर्जर भवन मालिकों को नगर निगम ने नोटिस देकर अपने कर्तव्य से इतिश्री कर ली. यह जर्जर भवन हादसे का सबब बने हुए हैं, लेकिन नगर निगम के अफसरों के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही है.
नगर निगम अधिकारियों की लचर स्थिति को देखते हुए सामाजिक कार्यकर्ता रवि नरचल की याचिका पर राजस्थान हाइकोर्ट की खंडपीठ ने पूर्व में जर्जर भवनों के खिलाफ नगर निगम को कार्रवाई के आदेश दिए थे. 6 वर्ष बीतने के बाद भी नगर निगम ने जर्जर भवनों को ध्वस्त करने की कार्रवाई नहीं की. लिहाजा, कोर्ट ने मुख्य सचिव और अजमेर नगर निगम आयुक्त को अवमानना नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
बता दें कि अजमेर में शहर की भीतरी चारदीवारी और उसके बाहर करीब 150 भवन को नगर निगम चिन्हित कर चुका है. इसके अलावा भी चारदीवारी के भीतर कई इलाकों में नगर निगम ने जर्जर भवन हैं, जिन्हें चिन्हित नहीं किया गया. यह जर्जर भवन रसूखदार लोगों के हैं. इनमें से ज्यादातर भवन तो लकड़ी की बल्लियों के सहारे टिके हुए हैं. ऐसे भवन कभी भी बड़े हादसे का कारण बन सकते हैं. लोगों के जानमाल की सुरक्षा को लेकर नगर निगम गंभीर नहीं है. ज्यादातर जर्जर भवन सकरी गलियों मैं मौजूद हैं. इन क्षेत्रों में मकान एक दूसरे से जुड़े हुए हैं.