अजमेर.सरकारी स्कूलों को खोले जाने की अटकलों के बीच प्राइवेट स्कूल संचालक भी स्कूल खोले जाने को लेकर सरकार से गाइड लाइन की मांग कर रहे हैं. अजमेर में राजस्थान प्राइवेट एजुकेशन महासंघ के बैनर तले प्राइवेट स्कूल के संचालकों ने जिला कलेक्टर को मुख्यमंत्री के नाम आठ सूत्रीय ज्ञापन दिया है. ज्ञापन में मुख्य मांग फीस दाखिले और स्कूल खोले जाने को लेकर सरकार की ओर से गाइडलाइन जारी करने की है.
निजी स्कूल संचालकों ने कलेक्टर को दिया ज्ञापन जिला कलेक्ट्रेट के बाहर लामबंद हुए प्राइवेट स्कूल के संचालकों ने सरकार से आठ सूत्रीय मांग की है. महासंघ के प्रदेश संयोजक हेमेंद्र बारोठिया ने बताया कि कोरोना महामारी को लेकर पूर्व में अभिभावकों से 3 माह की फीस नहीं लेने के लिए सरकार ने आदेश दिया था. जिसके चलते निजी स्कूल की आर्थिक स्थिति दयनीय हो गई है. सरकार ने इस महामारी के दौरान सरकारी और गैर सरकारी संगठनों से वार्ता कर उन को आर्थिक सहायता प्रदान की है, लेकिन महामारी में सरकार की ओर से निजी स्कूलों की अनदेखी हुई है. जिसके कारण प्रदेश में कई स्कूल हैं बंद होने के कगार पर है. साथ ही निजी स्कूलों के संचालक आर्थिक बोझ के कारण तनाव में है.
ये पढ़ें:सीकर: माकपा के नेतृत्व में मनरेगा श्रमिकों ने निकाली रैली, SDM को सौंपा ज्ञापन
बारोठिया ने बताया कि शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकांश निजी स्कूलों न्यूनतम फीस लेकर शिक्षा के क्षेत्र में राज्य सरकार को सहयोग कर रही है. फीस के स्थगन के कारण विद्यालयों में आर्थिक संकट पैदा हो गया है. उन्होंने सरकार से प्राइवेट स्कूलों के लिए गाइडलाइन जारी करने की मांग की है. वहीं महासंघ के प्रदेश उपाध्यक्ष अरविंद कश्यप ने बताया कि, फीस के जरिए स्कूल में बिजली पानी भवन किराया कर्मचारियों का वेतन और स्कूल भवन के रखरखाव पर खर्च होता है. विद्यालय बंद होने से विद्यालय संचालक और कर्मचारी बेरोजगार हो गए हैं. निजी स्कूलों के संचालकों ने कलक्टर से उनकी मांग सरकार तक पहुचाने का आग्रह किया है.
यह हैं मांगें...
- विद्यालय में अध्ययनरत विद्यार्थियों के सक्षम एवं सरकारी कर्मचारियों से पूर्व में बकाया 3 माह की फीस जमा करने के आदेश की अनुशंसा सरकार करें.
- सरकार की ओर से मुख्यमंत्री आर्थिक कोष से 75 प्रतिशत राशि निजी स्कूलों को आर्थिक सहयोग के रूप में दी जाए.
- नए सत्र के लिए सरकार स्पष्ट दिशा निर्देश व गाइड लाइन जारी करें। निजी स्कूलों में भी 1 जुलाई से सत्र प्रारंभ किया जाए.
- निजी स्कूलों की आर्थिक सहायता के लिए बिना ब्याज सीसी लिमिट के लिए राष्ट्रीय कृत बैंकों को आदेश जारी किए जाएं ताकि उनको सीसी लिमिट से आर्थिक सहयोग मिल सके.
- मान्यताओं के नियम का सरलीकरण किया जाए. मान्यता के लिए तीन लाख की एफडी, भूमि रूपांतरण व भवन सुरक्षा प्रमाणपत्र पीडब्ल्यूडी से 5 वर्ष की अवधि और नक्शा पास की बाध्यता हटाई जाए. साथ ही पूर्व में मान्यता प्राप्त प्राथमिक स्तर पर एक लाख की एफडी सेकेंडरी स्तर पर तीन लाख एफडी को इस महामारी के दौरान स्कूलों को वापस की जाए ताकि निजी स्कूलों को राहत मिल सके.
- माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की मान्यता के नियमों को सरलीकरण किया जाए. बोर्ड की ओर से स्थाई औऱ अस्थाई पत्रावली को जमा कराने की बाध्यता हटाई जाए साथ ही सिर्फ शिक्षा विभाग की ओर से जारी मान्यता के आधार पर संबद्धता जारी हो.
- सरकार निजी और सरकारी स्कूलों में समान नियमों को लागू करती है तो फिर सरकारी और निजी विद्यालयों में भेदभाव क्यों? सरकारी स्कूलों में नियमों की अवहेलना होती है उस पर अंकुश नहीं है. जब निजी विद्यालयों में किसी प्रकार से अवहेलना हो जाती है तो, उसकी मान्यता निरस्त करने की धमकी और स्कूल के संचालक को मुनाफाखोरी और आदि शब्दों से संबोधित किया जाता है. जबकि सरकार के नियमों में निजी और सरकारी स्कूलों में समानता का अधिकार होना चाहिए.
- आठवीं की पूर्व में बकाया राशि और सत्र 2019-20 की पुनर्भरण राशि का भुगतान किया जावे. आरटीई में प्रवेश प्रक्रिया को पूर्ण रूप से सरलीकरण किया जाए 75 प्रतिशत प्रवेश प्रक्रिया का ऑनलाइन पोर्टल खोला जाए.