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हरियाली अमावस्या : शिव-पार्वती के रूप में कल्पवृक्ष के जोड़े की हुई पूजा

सावन माह में भक्त भागवान शिव की आराधना और उपासना करते हैं. वहीं, हरियाली अमावस्या पर कल्पवृक्ष को शिव-पार्वती मानकर उन्हें पूजा जाता है. कल्पवृक्ष के जोड़े को लक्ष्य से गठबंधन कर श्रद्धालु अपनी मनोकामनाएं छोड़ जाते हैं. श्रद्धालुओं को विश्वास है कि इन लच्छे के धागों में छुपी उनकी मनोकामनाएं जरूर पूर्ण होगी.

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Published : Aug 1, 2019, 11:36 PM IST

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अजमेर.हरियाली अमावस्या के अवसर पर अजमेर के लोहा खान क्षेत्र में स्थित कल्पवृक्ष के मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहा. झमाझम बारिश की वजह से लोगों ने दोपहर बाद मंदिर पहुंचकर कल्पवृक्ष की जोड़ी की पूजा-अर्चना की. इस मौके पर महिलाओं ने कल्पवृक्ष की कथा सुनी और परिवार में सुख समृद्धि और अखंड सौभाग्य की कामना की.

शिव पार्वती के रूप में कल्प वृक्ष के जोड़े की हुई पूजा

शास्त्रों के अनुसार कल्पवृक्ष का धार्मिक महत्व है. कल्पवृक्ष को जोड़े के साथ ही लगाया जाता है. माना जाता है कि इनमें एक नर और एक मादा होती है. जहां भी कल्पवृक्ष का जोड़ा होता है, वह जगह लोगों के लिए धार्मिक स्थल बन जाता है.

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मान्यता है कि हरियाली अमावस्या के दिन कल्पवृक्ष की विधिवत पूजा अर्चना कर कथा सुनने से हर मनोकामना पूर्ण होती है. यही वजह है कि अजमेर में लोहा खान स्थित कल्पवृक्ष की पूजा के लिए बारिश थमने के बाद लोगों का हुजूम लगा रहा.

माना जाता है कि कल्पवृक्ष के जोड़े को शिव पार्वती के रूप में पूजा जाता है. मंदिर के पुजारी बताते हैं कि शास्त्रों में कल्पवृक्ष को पूजनीय बताया गया है जो हर मनोकामना को पूर्ण करता है. पूजा करने आए श्रद्धालु माया देवी ने बताया कि कल्पवृक्ष के जोड़े को शिव पार्वती मानकर पूजने से मनोकामनाएं सिद्ध होती है. वहीं पूजा के साथ कथा को सुनने से पुण्य लाभ मिलता है. एक अन्य बुजुर्ग श्रद्धालु महिला बताती हैं कि कल्पवृक्ष की विधिवत पूजा से घर में सुख शांति बनी रहती है और लक्ष्मी का वास होता है.

महिलाएं अखंड सौभाग्य की कामना करती हैं. वहीं युगल जोड़े संतान की कामना से पूजा करते हैं. इसी तरह अविवाहित युवा भी अच्छे जीवनसाथी के लिए यहां पूजा करते हैं. कल्पवृक्ष के जोड़े को श्रद्धा अनुसार वस्त्र पहनाए जाते हैं.

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