अजमेर.जिलाविकास के पथ पर आगे बढ़ रहा है लेकिन भविष्य की जरूरत को गंभीरता से कम ही आंका जा रहा है. वर्तमान शहर कंक्रीट का जंगल बन रहा है और पीछे छूटता जा रहा है बच्चों के खेलने के लिए गली, मोहल्ला और खेल का मैदान. शहर की आबादी छह लाख से अधिक है. शहर बढ़ता जा रहा है लेकिन शहर में क्षेत्रवार बच्चों के खेलने के मैदान भी गायब होते जा रहे हैं. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल है कि आखिर विकास की दौड़ में बच्चों के बचपन को खत्म किया जा रहा है.
शिक्षा के साथ साथ बच्चों के लिए खेलना भी जरूरी है. शिक्षा से बौद्धिक विकास होता है. जबकि खेल से शारारिक विकास बच्चों में होता है. लेकिन विकास की दौड़ में जिम्मेदारों के अलावा लोगों को बच्चों के भविष्य की कोई चिंता नहीं है. गली, मोहल्ले, वाहनों से अटे रहते हैं. इस कारण बच्चे घरों में रहने को मजबूर हैं और खेल के नाम पर हाथ में मोबाइल और वीडियो गेम आ गया है. इसका असर बच्चों के बौद्धिक और शारारिक विकास पर पड़ रहा है.
अजमेर शहर में 60 फीसदी क्षेत्र ऐसा है जहां बच्चों के खेलने (Sports Policy Of The State Government In Ajmer) के लिए कोई जगह नहीं है. 4 से 12 आयु वर्ष के बच्चे दूर खेल मैदान में खेलने नहीं जा सकते हैं. अभिभावकों को हादसे की चिंता रहती है. बच्चों की सुरक्षा को लेकर भी अभिभावक बच्चो को नहीं भेज पाते हैं. ऐसे में आवश्यक है कि घर के नजदीक ही खेल मैदान हो. इस दिशा में अजमेर विकास प्राधिकरण ने पहल की भी है. अजमेर में चार स्थानों को चिन्हित कर खेल मैदान बनाए जा रहे हैं. राज्य सरकार की खेलों को बढ़ावा देने की नई नीति के तहत खेल मैदान तैयार किए जा रहे हैं.