अजमेर.हिंदू सनातन धर्म में श्राद्ध पक्ष का विशेष महत्व है. 15 दिवसीय श्राद्ध पक्ष में लोग अपने पितृों के निमित्त तर्पण, पिंडदान और अनुष्ठान करवाते हैं. यूं तो देश में कई तीर्थ स्थलों पर पूर्वजों के निमित्त श्राद्ध किये जाते हैं, लेकिन तीर्थ गुरु पुष्कर में श्राद्ध करने का विशेष महत्व (Importance of Shradh in Pushkar) है. खास बात यह है कि केवल पुष्कर में ही 7 कुलों और पांच पीढ़ियों तक के पूर्वजों की शांति के लिए श्राद्ध किए जाते हैं.
भाद्र पद शुक्ल पूर्णिमा (शनिवार) से तीर्थ गुरु पुष्कर राज में श्राद्ध के लिए श्रद्धालुओं का आना जाना शुरू हो गया है. पुष्कर के पवित्र सरोवर के 52 घाटों पर श्राद्ध कर्म करवाते हुए तीर्थ पुरोहित और श्रद्धालु नजर आने लगे हैं. मान्यता है कि पुष्कर के पवित्र सरोवर के घाट पर अपने पूर्वजों के निमित्त किए जाने वाले श्राद्धकर्म से पूर्वजों को शांति मिलती है. वहीं पितृ दोष एवं अन्य व्याधियों से भी मुक्ति मिलती है. पितरों के आशीर्वाद से घर में खुशहाली आती है. सदियों से पुष्कर तीर्थ के पवित्र सरोवर में श्राद्ध कर्म होते आए हैं. यूं तो वर्ष भर पुष्कर सरोवर के घाटों पर पितरों के निमित्त अनुष्ठान किए जाते हैं.
पुष्कर के तीर्थ पुरोहितों के पास देश के कोने-कोने से आने वाले श्रद्धालुओं और उनके पूर्वजों की पोथी भी होती है. जिसमें पूर्वजों के नाम होते हैं. देशभर के अलग-अलग क्षेत्रों के अलग-अलग तीर्थ पुरोहित पुष्कर में है जो अपने अपने क्षेत्रों से आने वाले श्रद्धालुओं को उनकी श्रद्धा के अनुसार श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान और पितृ शांति के लिए अनुष्ठान और पुष्कराज की पूजा अर्चना करवाते हैं. जोधपुर से आए श्रद्धालु उमेश ने बताया कि पुष्कर में श्राद्ध कर्म से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है. वहीं श्राद्ध कर्म करने वाले को पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त होता है. उन्होंने कहा कि श्राद्ध कर्म से उत्पन्न आत्मिक भाव को यहां श्राद्ध करके ही महसूस किया जा सकता है.
यहां सात कुल और 5 पीढ़ियों तक के लिए होते है श्राद्धःपुष्कर एकमात्र ऐसा तीर्थ है जहां पर 7 कुल और 5 पीढ़ियों तक के पूर्वजों के निमित्त श्राद्ध किए जाते हैं. जबकि देश में अन्य तीर्थ स्थलों पर एक या दो पीढ़ी तक के पूर्वजों के लिए श्राद्ध किए जाते हैं. तीर्थ पुरोहित पंडित रूपचंद पाराशर बताते हैं कि भगवान श्रीराम ने भी पुष्कर में अपने 7 कुल और 5 पीढ़ियों के पूर्वजों का उद्धार यहां श्राद्ध करके किया था. पुष्कर जगत पिता ब्रम्हा की नगरी है. वहीं पवित्र पुष्कर सरोवर के जल को नारायण के रूप में पूजा जाता है. यहां श्रद्धा के साथ पूर्वजों के निमित्त श्राद्ध करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है.