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Lockdown में दुकानें रहीं बंद...अनलॉक में दुकानों से ही 'हाथ धो बैठे' 70 दुकानदार, जानें पूरा मामला

कोरोना वायरस के वजह से हुए लॉकडाउन में सभी वर्गों का रोजगार छीन गया है और उनके सामने रोजी-रोटी की संकट पैदा हो गया है. इस कड़ी में अजमेर के गुलाब बाड़ी फाटक पर रेलवे ओवर ब्रिज के निर्माण को लेकर 70 दुकानें खाली करवाई जा रही हैं. जिसके बाद दुकानदारों को उनकी भविष्य की चिंता सता रही है.

Order issued to vacate shops, दुकानें खाली करने का आदेश जारी
दुकानों से ही हाथ धो बैठे 70 दुकानदार

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Published : Jun 24, 2020, 7:20 PM IST

अजमेर. कोरोना वायरस के वजह से आज जहां पूरा देश आर्थिक संकट से जूझ रहा है. ऐसे में अजमेर शहर के गुलाब बाड़ी फाटक पर रेलवे ओवर ब्रिज के निर्माण के चलते 70 दुकानदारों को अपनी दुकानों से हाथ धोना पड़ रहा है. हालांकि, प्रशासन ने दुकानदारों को अन्य जगह पर दुकानों के लिए जगह देने का मौखिक आश्वासन दिया है, लेकिन आश्वासन लिखित नहीं होने से दुकानदारों को भविष्य की चिंता सता रही है.

दुकानें खाली करने का आदेश जारी

ओवर ब्रिज का निर्माण 10 महीने से अधूरा...

गुलाब बाड़ी रेलवे ओवर ब्रिज का निर्माण कार्य 10 माह से अधूरा पड़ा है, जिसकी वजह यह 70 दुकाने थी. दरअसल, अजमेर विकास प्राधिकरण और दुकानदारों के बीच आपसी वार्ता से कोई निर्णय नहीं निकल पा रहा था. वहीं, कुछ दुकानदारों के मामले कोर्ट में विचाराधीन थे. ऐसे में लॉकडाउन खुलने के बाद दुकानदारों को रोजगार का अवसर तो मिला, लेकिन यह राहत ज्यादा दिन टिक नहीं सकी.

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दुकानदारों को प्रशासन ने 15 दिन का नोटिस जारी करके दुकाने खाली करने का आदेश जारी किया है. इन आदेशों के मिलने के बाद दुकानदारों के पैरों तले जमीन सरक गई है. दुकानदारों को समझ में नहीं आ रहा है कि अब क्या होगा दुकान हाथ से गई. वहीं, रोजगार भी छीन गया है. ऐसे में अब परिवार का पालन पोषण कैसे होगा.

दुकानदारों को सताने लगी भविष्य की चिंता

प्रशासन के दबाव के आगे दुकानदार नतमस्तक है. वहीं, क्षेत्र की एमएलए भी उनका कोई साथ नहीं दे रही है. बेबस दुकानदार दुकानों से सामान खाली कर रहे हैं. दुकानदारों ने बताया कि 30 वर्ष पहले तत्कालीन यूआईटी से दुकानदारों ने 99 वर्ष की रिलीज पर जमीन खरीदी थी. इन दुकानों से करीब 500 जनों का पेट पलता है.

पिछली दिवाली पर प्रशासन ने दुकानें खाली करने के लिए नोटिस दिया था. जिसके बाद प्रशासन से इस विषय पर कई बार वार्ता भी हुई, लेकिन दुकानदारों को दुकान के बदले दूसरी दुकान देने पर कोई निर्णय नहीं हुआ, बल्कि मौखिक रूप से प्रशासन ने दुकानदारों को आश्वासन दिया है कि डीएलसी रेट पर ब्रिज के नीचे दुकानें आवंटित की जाएगी.

दुकानदार अनिल मेहता और घनश्याम खंडेलवाल ने कहा कि यह कैसा प्रजातंत्र है कि विकास के नाम पर लोगों से उनका रोजगार छीना जा रहा है. देश में कहीं भी किसी भी ब्रिज के नीचे दुकानें आवंटित नहीं की गई है. ऐसे में प्रशासन दुकानदारों को अंधेरे में रख रहा है.

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दुकानदार सीने पर पत्थर रखकर दुकाने खाली कर रहे है. रेलवे ओवर ब्रिज के निर्माण का कार्य कब पूरा होगा और उन्हें दुकानदारों को दुकाने कब मिलेगी, यह फिलहाल तय नही है, लेकिन तब तक इन 70 दुकानदारों और उनके परिवार का गुजारा कैसे होगा, इसको लेकर एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है.

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