अजमेर.राजस्थान निकाय चुनाव का बिगुल बज चुका है. प्रदेश में 49 निकायों के लिए 16 नवंबर को वोटिंग होगी. वहीं 19 नवंबर को काउंटिंग की जाएगी. ऐसे में जहां बीकानेर नगर पालिका में सबसे ज्यादा है. वहीं अजमेर की नसीराबाद नगर पालिका में सबसे कम वोटर्स है. जहां बीकानेर नगर निगम में वोटर्स की बात करें तो यहां 4.41 लाख वोटर्स है. तो सबसे कम नसीराबाद नगर पालिका में 957 मतदाता है.
राजस्थान की सबसे कम वोटर्स वाली नगर पालिका, केवल 957 मतदाता बीकानेर में सबसे ज्यादा तो नसीराबाद में सबसे कम वोटर
बता दें कि हाल ही में गठित अजमेर जिले की नसीराबाद नगर पालिका प्रदेश की एक मात्रा ऐसी नगर पालिका है जहां महज 957 ही मतदाता है. 20 वार्डों की इस नगर पालिका में वो प्रत्याशी वार्ड पार्षद बन जायेगा जिसके परिवार में 20 मतदाता है यानी प्रत्येक वार्ड में सिर्फ 40 के करीब ही मतदाता है.
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अजमेर जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर की दूरी पर बसा नसीराबाद. प्रदेश की सबसे कम मतदाता वाली नगर पालिका में शुमार हो गई है. इस नगर पालिका में महज 957 मतदाता. जो नवंबर में होने वाले नगर निकाय चुनाव में अपने मताधिकार का उपयोग करेंगे. 20 वार्डों की इस नगर पालिका में हजार से भी कम मतदाता होने के चलते रोचक और सबकी चर्चा का विषय बन गई. एक वार्ड में अगर एक ही परिवार के 20 मतदाता है तो समझो उसकी जीत तय है. राजस्थान में जगह 49 शहरों में ही चुनाव होंगे.
49 निकायों में कुल 32 लाख 99 हजार 337 मतदाता डालेंगे वोट
राज्य निर्वाचन आयोग की सूची के अनुसार 49 निकायों में कुल 32 लाख 99 हजार 337 मतदाता वोट डालेंगे. जिसमे 17 लाख 1292 पुरुष मतदाता और 15 लाख 97998 महिला मतदाता हैं. वहीं 47 थर्ड जेंडर हैं. 49 निकायों के 2105 वार्ड में मतदान होगा और मतदान के लिए 3479 मतदान केंद्र बनाए गए हैं. 49 में सबसे अधिक मतदाता अब बीकानेर में 4 लाख 41 हजार 294 मतदाता हैं. वहीं अजमेर जिले की नसीराबाद में सबसे कम 957 मतदाता हैं. जिनमें 498 पुरुष और 459 महिला मतदाता अपने मताधिकार का उपयोग करेंगे.
आर्मी छावनी के वार्ड आने से यहां सबसे कम मतदाता
राज्य सरकार की ओर से नसीराबाद को नगर पालिका बनाने के बाद यहां पहली बार हो रहे निकाय चुनाव की तैयारी पूरी कर ली गई है. मगर सबसे रोचक बात यह है कि इस नगर पालिका के 20 वार्डों की जनसंख्या महज 957 ही है. नसीराबाद में जिन वार्डों को दर्शाया गया है वे हाउसिंग बोर्ड से संबधित हैं. जिन वार्डों में यहां अच्छी खासी जनसंख्या है वे छावनी बोर्ड के अधीन हैं. नसीराबाद नगर पालिका की घोषणा तत्कालीन भाजपा सरकार की मुखिया वसुंधरा राजे ने चुनावों से पहले कर दी थी. इसके बाद छावनी बोर्ड का संबंधित क्षेत्र एवं वार्डों को पालिका के अन्तर्गत लाने की प्रक्रिया पूर्ण रूप से क्रियान्वित नहीं हो पाई.
यही वजह है कि नगर पालिकाओं की आरक्षण लॉटरी में छावनी बोर्ड के वार्डों के अतिरिक्त को ही जनसंख्या में दर्शाया गया है. यह जो जनसंख्या है वह वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक है. उधर, पालिका चुनाव से पूर्व प्रशासन की ओर से इन वार्डों में पुन: जनगणना कराने की कवायद भी गई, ताकि जो नए जुड़ी जनसंख्या है उसे भी नगर पालिका चुनाव की मतदाता सूची में शामिल किया जा सकें, लेकिन मतदाता सूची के अंतिम प्रकाशन तक ये कवायद तकनीकी कारणों के चले पूरी नहीं हो पाई.
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छावनी बोर्ड से एनओसी मिलने के बाद हो पाएगा विलय
नगर पालिका क्षेत्र में नसीराबाद की सम्पूर्ण जनसंख्या को शामिल करने के लिए छावनी बोर्ड से एनओसी यानी अनापत्ति प्रमाण पात्र आवश्यक है. इसके लिए सेना के दिल्ली स्थित मुख्यालय से भी अनुमति मिलाना आवश्यक है. हालांकि इसके लिए जनप्रतिनिधियों और सरकार के नुमाइंदों ने सम्पर्क साधा है और कार्यवाही चल रही है, लेकिन नगर पालिका के नवम्बर में होने वाले चुनाव से पहले यह मुमकिन नहीं हो सका. अब जब तक छावनी बोर्ड से एनओसी जारी नहीं होती तब तक निकाय चुनावों में संबंधित जनसंख्या की भागीदारी भी सुनिश्चित नहीं हो सकती है.