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पुष्कर मेले में राजस्थान की लोक संस्कृति 'मांडणा' की दिखी झलक - mandna competition in ajmer

राजस्थान की लोक संस्कृति में मांडणा का काफी महत्व है. खासकर ग्रामीण अंचल में मांगने का उपयोग महिलाएं अपने घरों में त्योहारों पर करती है. मांडणा में कई तरह की विशेष आकृतियां बनाई जाती है. ग्रामीण अंचल में महिलाएं मांडणा को पवित्र और खुशहाली का प्रतीक मानती है.

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Published : Nov 4, 2019, 5:46 PM IST

अजमेर.जिले के पुष्कर मेले का आगाज हो चुका है. इसके साथ ही यहां प्रदेश की संस्कृतिक विरासत की झलक देखने को मिल रही है. मेले में मांडणा प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. मांडणा राजस्थान की लोक संस्कृति का अभिन्न अंग है, जिसमें सभी महिलाओं ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया.

पुष्कर मेले में हुआ मांडणा प्रतियोगिता का हुआ आयोजन

अंतर्राष्ट्रीय पुष्कर मेले के आगाज के साथ ही कई तरह की लोक संस्कृति का प्रदर्शन भी देशी-विदेशी पर्यटकों को देखने को मिल रहा है. इनमें मांडणा प्रतियोगिता का आयोजन भी मेला समिति की ओर से किया गया है. मेला ग्राउंड की दीवार पर मिट्टी और गोबर का लेप किया गया है. इसके सूखने के बाद इस पर पुष्कर और आस-पास ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं ने मांडणा बनाएं. मांडणा प्रतियोगिता में विदेशी पर्यटकों ने भी भाग लिया. इसमें पक्के रंगों का उपयोग नहीं होता. कच्चे रंग से विभिन्न आकृतियां गोबर और मिट्टी के फर्श या दीवार पर उकेरी जाती है.

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महिलाओं ने बताया कि त्योहार या शादी के दौरान घरों में मांडणा बनाया जाता है. इसे शुभ और खुशहाली का प्रतीक माना जाता है. यह राजस्थान की लोक संस्कृति का हिस्सा है. वहीं मांडणा पुष्कर मेले का भी हिस्सा बनकर पर्यटकों को प्रचीन लोक संस्कृति के दर्शन करवा रहा है.

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