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SPECIAL: लॉकडाउन में किशनगढ़ मार्बल मंडी को अब तक हुआ 8,400 करोड़ का नुकसान

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Published : May 2, 2020, 7:12 PM IST

कोरोना महामारी का ग्रहण प्रदेश की सबसे बड़ी किशनगढ़ मार्बल मंडी पर भी लगा है. मार्बल मंडी और उससे जुड़े व्यवसाय बंद होने से हजारों लोग बेरोजगार हो गए हैं. मंडियों में हर दिन 200 करोड़ रुपए का नुकसान भी हो रहा है.

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मार्बल मंडी को 200 करोड़ रुपए का घाटा

अजमेर.वैश्विक कोरोना महमारी के चलते राजस्थान में खनन और मिनरल्स के व्यवसाय के साथ इनकी प्रोसिनिंग यूनिट भी बंद होने राज्य सरकार को बड़ा रेवेन्यू नुकसान हो रहा है. वहीं इनसे जुड़े अन्य व्यापार भी बंद हो जाने से व्यापारियों और श्रमिकों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है.

प्रदेश की सबसे बड़ी मार्बल मंडी पर लगा कोरोना का ग्रहण

200 करोड़ का हर दिन घाटा

अजमेर जिले में मार्बल सिटी किशनगढ़ की बात की जाए तो लॉकडाउन में मार्बल मंडी को 200 करोड़ रुपए प्रतिदिन का व्यापार शून्य हो गया है. किशनगढ़ में खनन नहीं होता. वर्तमान में किशनगढ़ मार्बल मंडी प्रदेश की सबसे बड़ी मार्बल मंडी है. मगर कोरोना ने किशनगढ़ मार्बल मंडी को ही नहीं, बल्कि इससे जुड़े अन्य व्यापार को भी ग्रहण लगा दिया है.

प्रोसेसिंग यूनिट्स राजस्थान की लाइफ लाइन

देश में लंबे लॉकडाउन के चलते केंद्र और राज्य सरकार की मंशा है कि कोरोना प्रभावी क्षेत्रों के अलावा अन्य क्षेत्रों में स्थापित औद्योगिक क्षेत्रों को छूट देकर राहत दी जाए. राजस्थान में ग्रेनाइट और मार्बल के खनन का बड़े पैमाने पर कार्य होता है. जिनमें हजारों श्रमिक काम करते हैं. यूं कहे कि खनन और मिनरल्स के अलावा प्रोसेसिंग यूनिट्स राजस्थान की लाइफ लाइन है. राज्य सरकार को इससे बड़ा रेवेन्यू प्राप्त होता रहा है.

किशनगढ़ में है मार्बल और ग्रेनाइट की सैकड़ों फैक्ट्रियां

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मार्बल और ग्रेनाइट की सैकड़ों फैक्ट्रियां

अकेले किशनगढ़ में मार्बल और ग्रेनाइट की सैकड़ों फैक्ट्रियां है. ईटीवी भारत में किशनगढ़ मार्बल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष एवं विधायक सुरेश टाक से विशेष बातचीत की. टांक ने बताया कि विश्व की सबसे बड़ी किशनगढ़ मार्बल मंडी बहुत ही बुरे दौर से गुजर रही है. उन्होंने बताया कि मार्बल मंडी में प्रतिदिन 300 ट्रक मार्बल अन्य राज्यों में भेजा जाता था. प्रतिदिन का कारोबार करीब 200 करोड़ का था. इसके अलावा मार्बल मंडी से जुड़े ट्रांसपोर्ट और अन्य व्यापार को भी भारी नुकसान हुआ है.

60 हजार श्रमिक करते हैं काम

उन्होंने बताया कि 60 हजार श्रमिक किशनगढ़ मार्बल मंडी में काम करते हैं. लॉकडाउन के चलते श्रमिकों के सामने रोजगार का संकट खड़ा हो गया है. किशनगढ़ मार्बल मंडी के बंद रहने से सरकार को अरबों का नुकसान हो रहा है.

विदेशों तक भेजा जाता है किशनगढ़ का मार्बल और टाइल्स

मंडी फिर से चालू करने की कवायद शुरू

केंद्र और राज्य सरकार की मंशा है कि औद्योगिक क्षेत्रों को छूट देकर उन्हें पुनः शुरू किया जाए. किशनगढ़ मार्बल व्यवसाई भी चाहते हैं कि व्यापार शुरू हो. लेकिन सरकार की ओर से जारी गाइडलाइन के बाद भी अजमेर प्रशासन किशनगढ़ मार्बल मंडी को पुनः शुरू कराने को लेकर हिचकिचा रहा है.

टांक ने प्रशासन की झिझक के बारे में बताया कि अजमेर कोरोना संक्रमण के मामले में रेड जोन घोषित हो गया है. प्रशासन खुद पशोपेश में है कि अजमेर के किन क्षेत्रों में औद्योगिक इकाइयों को शुरू किया जाए. हालांकि, सरकार से गाइडलाइन मिल चुकी है. लेकिन यह गाइडलाइन किशनगढ़ मार्बल मंडी को शुरू करवाने के लिए काफी कम है.

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किशनगढ़ विधायक सुरेश टांक ने बताया कि किशनगढ़ मार्बल मंडी को शुरू करवाने के लिए सरकार के उचित मार्गदर्शन के लिए वह मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से बातचीत करेंगे. उन्होंने बताया कि किशनगढ़ मार्बल मंडी में व्यापार शुरू होने से व्यापारियों को संबल मिलेगा. इसके अलावा मार्बल मंडी से जुड़े अन्य व्यवसाय शुरू होने से हजारों लोग रोजगार से जुड़ सकेंगे. वहीं मार्बल मंडी में 60 हजार श्रमिकों को फिर से रोजगार मिल सकेगा.

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