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राज्य किसान आयोग का तीसरा किसान संवाद कार्यक्रम, किसानों ने ईआरसीपी सहित ये समस्याएं रखीं आयोग के सामने

राज्‍य किसान आयोग का तीसरा किसान संवाद कार्यक्रम अजमेर में सम्‍पन्‍न (Kisan Samvad Program in Ajmer) हुआ. इसमें किसानों ने ईआरसीपी, तारबंदी, खेतों में पाैंड, लंपी, जैविक खेती के उत्‍पाद बेचने संबंधित समस्‍याएं आयोग के सामने रखी. किसान आयोग अध्‍यक्ष महादेव सिंह खंडेला ने किसानों की समस्‍याओं को राज्‍य सरकार तक पहुंंचाने और इनका निवारण करने का आश्‍वासन दिया.

Kisan Samvad Program in Ajmer, farmers shared their problems with Kisan Ayog president
राज्य किसान आयोग का तीसरा किसान संवाद कार्यक्रम, किसानों ने ईआरसीपी सहित ये समस्याएं रखीं आयोग के सामने

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Published : Sep 13, 2022, 7:22 PM IST

Updated : Sep 14, 2022, 12:05 AM IST

अजमेर. राज्य किसान आयोग के अध्यक्ष महादेव सिंह खंडेला और सदस्य मंगलवार को अजमेर में थे. यहां राष्ट्रीय बीजीय मसाला अनुसंधान केंद्र में जिलेभर से आए किसानों के साथ आयोग ने संवाद किया. संवाद कार्यक्रम में किसानों ने अपनी समस्या आयोग के समक्ष (Farmers present problems in Kisan Samvad) रखी. आयोग ने भी किसानों को उनकी समस्या राज्य सरकार तक पहुंचाने और उसका निराकरण करने का आश्वासन दिया है.

राजस्थान किसान आयोग का तीसरा किसान संवाद कार्यक्रम मंगलवार को अजमेर में संपन्न हुआ. कार्यक्रम में जिलेभर से किसान अपनी समस्या बताने के लिए पहुंचे. क्रमवार मंच पर किसानों को अपनी समस्या रखने का मौका दिया गया. अजमेर में सिंचाई की व्यवस्था को लेकर किसानों ने ईस्टर्न कैनाल का कार्य जल्द शुरू करने की मांग की. किसानों ने एमएसपी के जरिए फसल बेचने के मामले में गड़बड़झाले की शिकायत की. वहीं तारबंदी को लेकर सरकारी योजना में पहले आओ पहले पाओ की व्यवस्था लागू करने की मांग उठाई. खेतों पर पाैंड बनाने को लेकर सरकार की योजनाओं के अंतर्गत लक्ष्य बढ़ाने की भी मांग किसानों ने रखी. किसानों ने लंपी बीमारी पर अंकुश लगाने और ग्रामीण क्षेत्र में पशु चिकित्सक नहीं होने की भी समस्या आयोग के समक्ष रखी.

किसानों ने ईआरसीपी सहित ये समस्याएं रखीं आयोग के सामने

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यह बोले आयोग अध्यक्ष महादेव सिंह खंडेला: राज्य किसान आयोग के अध्यक्ष महादेव सिंह खंडेला ने मंच से संबोधन देते हुए कहा कि बजट मार्च 2023 में आने वाला है. इसलिए सरकार को किसानों की समस्याओं का प्रतिवेदन बनाकर शीघ्र भेजा जाएगा. ताकि किसानों की समस्याओं को देखते हुए योजनाओं में सुधार और निराकरण हो सके. खंडेला ने कहा कि सन 2021-22 के बजट में कृषि के लिए अलग से बजट बनाया गया था. उन्होंने बताया कि पहले फार्म पाैंड 5 हजार थे, जिनकी बजट के बाद बढ़ाकर संख्या 15 हजार कर दी गई है. उन्होंने कहा कि किसान संवाद कार्यक्रम में जो भी समस्याएं आयोग को मिली हैं, वह सरकार को भेजी जाएगी. इसके अलावा जो किसान संवाद कार्यक्रम में नहीं आए हैं, वे भी अपनी समस्या आयोग को लिखित में भेज सकते हैं.

मनरेगा से फायदे भी और नुकसान भी:कुछ किसानों ने मनरेगा पर सवाल उठाते हुए कहा कि मनरेगा ने लोगों को कामचोर बना दिया है. इस पर आयोग अध्यक्ष महादेव सिंह खंडेला ने कहा कि मनमोहन सिंह सरकार में गांव में बढ़ती बेरोजगारी और शहरों की ओर बढ़ रहे पलायन को रोकने के उद्देश्य से मनरेगा योजना शुरू की गई थी. ताकि लोगों को गांव में ही रोजगार मिल सके. उन्होंने कहा कि गांव में सरपंच अपने लोगों को मनरेगा की सूची में शामिल कर लेता है. वह लोग काम नहीं करते हैं. इससे नुकसान भी हो हो रहा है. लेकिन मनरेगा का सीधा उद्देश्य लोगों को रोजगार उपलब्ध करवाना है. उन्होंने कहा कि इस तरह की योजना अब शहरी क्षेत्र में भी जल्द शुरू होने जा रही है.

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यह बोले अजमेर जिले के किसान: युवा किसान मुकेश गैना ने कहा कि तारबंदी सहित सरकार की विभिन्न योजनाओं में लॉटरी सिस्टम बंद करने की मांग की गई है. पहले आओ पहले पाओ की व्यवस्था से किसानों को योजना का ज्यादा लाभ मिल सकता है. गैना ने कहा कि सरकार को किसानों की आय बढ़ाने की ओर भी ध्यान देना चाहिए. किसान गणपत सिंह ने बताया कि फार्म पाैंड की सेक्शन जून-जुलाई तक मिल पाती है, उस वक्त फार्म पाैंड खोदने के दौरान बारिश आ जाने से फार्म पाउंड नहीं खुद पाते हैं और ना ही पाइपलाइन दबा पाते हैं. फार्म पाउंड की स्वीकृति किसानों को जल्द मिले.

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जैविक उत्‍पाद बेचने में आती है परेशानी:किसान लाला राम जाट ने बताया कि एमएसपी पर मूंग बेचने कई किसान जाते हैं. उन्‍होंने आरोप लगाया कि वहां किसानों के सैंपल इसलिए फेल कर दिए जाते हैं कि वे किसान वहां मौजूद कर्मचारियों को कमीशन नहीं दे पाते. इसलिए अच्छा माल होने के बाद भी उसे कर्मचारियों द्वारा फेल कर दिया जाता है. युवा किसान गणेश पूरी ने बताया कि सरकार जैविक खेती को प्रोत्साहित कर रही है. इसके तहत कई किसानों ने जैविक खेती करना शुरू किया है.

जैविक खेती के चलते उत्पादन भी कम होता है, लेकिन सबसे बड़ी समस्या यह है कि फसल को कहां बेचा जाए. जैविक फसल के दाम अन्य फसलों की तुलना में अधिक होते हैं, जो किसान को मिल नहीं पाते हैं. जैविक खेती करने वाले किसानों के सामने फसल को बेचने की है. उन्होंने बताया कि 80 रुपए प्रति किलो काले गेहूं के बीज उन्होंने खरीदे थे. फसल होने के बाद काले गेहूं बेचने में उन्हें बहुत ही मुश्किल आ रही है. मंडी में काले गेहूं कोई नहीं खरीदता है.

Last Updated : Sep 14, 2022, 12:05 AM IST

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