अजमेर. एक दिवसीय किसान आंदोलन के तहत समस्त जिलों में जिला कलेक्टर के माध्यम से पीएम और कृषि मंत्री को मांग पत्र भेजे जाएंगे. शर्मा ने कहा कि कृषि कानून में चार संशोधन की भी मांग की जाएगी.
भारतीय किसान संघ राजस्थान प्रदेश के चित्तौड़ प्रांत के महामंत्री अंबालाल शर्मा ने बताया कि किसानों को उनकी उपज का मूल्य नहीं मिलने से गरीब किसान और भी गरीब एवं कर्जदार होता जा रहा है. सरकार अपने तरीके से किसानों की दशा सुधारने का प्रयास कर रही है लेकिन क्षणिक सांत्वना से किसान की दशा सुधारना असंभव है. संगठन ने केंद्र सरकार को 11 अगस्त 2021 को पत्र देकर आग्रह किया था कि किसानों को लाभकारी मूल्य प्रदान करने के लिए आवश्यक कार्रवाई करें.
भारतीय किसान संघ ने सरकार को 31 अगस्त 2021 तक का समय दिया था. लेकिन नियत तिथि गुजर जाने के बाद भी सरकार की ओर से कोई सकारात्मक वार्ता की पहल नहीं की गई. लिहाजा भारतीय किसान संघ संगठन अखिल भारतीय स्तर पर विशाल आंदोलन के पथ पर अग्रसर है. इस कड़ी में 3 सितंबर को संभाग स्तर पर प्रेस वार्ता के माध्यम से सरकार को चेतावनी दी जा रही है कि पूर्व के तीन कृषि कानूनों में संगठन आवश्यक संशोधन की मांग साथ तीनों कानून को स्वीकार करता है.
सभी प्रकार की खरीद समर्थन मूल्य पर होने का कानूनी प्रावधान किया जाए. निजी व्यापारियों का राज्य व केंद्र सरकार की ओर से पंजीयन कर बैंक की ओर से सिक्योरिटी दी जाए. किसानों को न्याय दिलाने के लिए किसानों के गृह जिला में स्वतंत्र न्यायालय की स्थापना की जाए. कॉरपोरेट कंपनियां किसानों की परिभाषा में आ रही है, इसे तर्कसंगत बनाया जाए. जो केवल कृषि पर निर्भर है, परिभाषा में किसान माना जाए.
एमएसपी के सवाल पर भारतीय किसान संघ के चित्तौड़ प्रांत के महामंत्री अंबा लाल शर्मा ने कहा कि (एमएसपी) समर्थन मूल्य छलावा है. गरीब किसान को बाजार के भरोसे छोड़ना ही नहीं बल्कि उसकी उपज के मूल्य पर सरकार की ओर से नियंत्रण रखना जानबूझकर उसका मनुष्य जीवन बर्बाद करना है. किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) नहीं बल्कि लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य देना होगा. एक बार घोषित मूल्य के बाद उसके आधारों में होने वाली महंगाई का भुगतान का समय पर समायोजन कर महंगाई के अनुपात में वास्तविक मूल्य देकर चुकाना होगा.