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अजमेर में पर्यावरण संरक्षण का अनूठा उदाहरण, घरों में मिट्टी के गणपति बनाकर लोगों को बांटे

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Published : Aug 21, 2020, 6:47 PM IST

गणेश चतुर्थी पर मिट्टी के गणपति की स्थापना करने पर पर्यावरण को बचाने में मदद मिल सकती है. ऐसी सोच रखने वाले लोगों ने इस बार भी अपने हाथों से घर के लिए ही नहीं बल्कि दूसरे लोगों के घरों में गणपति स्थापना के लिए मिट्टी के गणपति भी बनाये है. ऐसे लोगों का उद्देश्य पर्यावरण को नुकसान से बचना है. अजमेर में कई लोग घरों में मिट्टी के गणपति बनाकर दूसरों को स्थापना के लिए भेंट कर रहे है.

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घरों में मिट्टी की बनाई गणपति

अजमेर. गणेश चतुर्थी पर प्रथम पूज्य भगवान गणपति की मूर्ति स्थापना की परंपरा रही है. इस परंपरा को निभाने के लिए लोग बहुत ही उत्सुक रहते है. इसके लिए लोग बाजार से गणपति की प्रतिमा खरीदते है. लेकिन वो यह भूल जाते है कि जिस प्रकृति का निर्माण स्वयं ईश्वर ने किया है, उस प्रकृति को अज्ञानतावश लोग पीओपी की मूर्ति खरीदकर नुकसान पहुंचा रहे है.

घरों में मिट्टी के गणपति बनाएं

दरसअल पीओपी से निर्मित मूर्ति का विसर्जन करने पर वह नहीं गलती और वर्षों तक उस पर चढ़े रासायन युक्त रंग और पीओपी प्रतिमा पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते रहते हैं. इसलिए गणेश चतुर्थी को देखते हुए कई जागरूक लोगों ने घर पर ही मिट्टी की गणेश प्रतिमाएं बनाई है. वह मिट्टी से बने गणपति की स्थापना करेंगे. अजमेर शहर के भीतरी हिस्से में बड़ा कटला निवासी अमिता सोनी और उनके परिवार ने पर्यावरण मित्र बनकर इस बार गणेश चतुर्थी के लिए घर पर ही गणेश प्रतिमाएं मिट्टी की बनाई है.

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अमिता सोनी के परिवार के हर सदस्य ने मिट्टी के गणपति बनाने में सहयोग किया. यही वजह है कि अमिता सोनी के परिवार में गणेश चतुर्थी पर ना केवल मिट्टी के गणपति की स्थापना होगी. बल्कि 11 अन्य परिवारों में भी गणपति की मिट्टी से बनी मूर्ति की स्थापना होगी. दरअसल अमिता सोनी और उनके परिवार ने ना केवल अपने लिए बल्कि पर्यावरण की रक्षा करने के उद्देश्य से 11 लोगों के लिए भी मिट्टी के गणपति बनाए थे. अमिता सोनी बताती हैं कि मिट्टी के गणपति पर सिंदूर के रंग का उपयोग किया गया है. जिससे विसर्जन के बाद प्रकृति को कोई नुकसान नहीं होगा.

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