अजमेर. वन विभाग देसी और प्रवासी पक्षियों की गणना करने के लिए एक बार फिर अभियान चला रहा है. इस बार बर्ड फ्लू और अन्य बीमारियों को देखते हुए गंभीरता से इस प्रकार को अभियान को चलाने की आवश्यकता है. इसके लिए वनकर्मियों की विभिन्न जलाशयों पर ड्यूटी लगाई गई है.
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अजमेर में आनासागर, फायसागर, गुंदेलाव झील, सेलीबेरी, माना घाटी, गोमुख पहाड़ और नारायण सिंह का कुआं सहित कई जगहों पर बड़ी संख्या में वन्य जीव एवं पक्षी पाए जाते हैं. अजमेर में विभिन्न प्रकार के पक्षी विदेशों से भी आकर के सर्दियों में डेरा डालते हैं. अधिकतर पक्षी बड़ी झील या सुरक्षित प्राकृतिक वातावरण के कारण यहां अपना डेरा जमाते हैं. सर्दियों में उनके देश में बहुत अधिक सर्दी और बर्फबारी होने के कारण उन्हें यहां का मौसम बेहद अनुकूल लगता है. विदेशी पक्षियों में कॉमन टील, रफ, लिटिल स्टैंड, लिटिल ग्रीन हेरोन, व्हाइट थ्रोटेड किंगफिशर, पाइड एवोकेट, ब्लैक विंड स्टाल्ट, ग्रेटव्हाइट पेलिकन, लार्ज कैरोमैनट, लोंग टेल प्राइस, लॉर्डजी ग्रेट, लिटिली ग्रेट, कॉमन सैंडपाइपर, येलोवेट गेन, ग्रेट डेन सहित कई पक्षी बाहर से आते हैं.
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हर साल आने वाले इन पक्षियों की गिनती और बीमारियों पर वन विभाग बारीकी से नजर रखता है. इनका प्राकृतिक व्यवहार किस प्रकार का है और उनसे हमारे पर्यावरण पर किस प्रभाव पड़ता है, यह भी इस गणना के माध्यम से समझा जाता जाता है. इसके लिए वनकर्मियों को ट्रेनिंग दी जाती है एवं उचित साधन भी उपलब्ध कराए जाते हैं. फिर रिपोर्ट में ये आंकड़े देकर जयपुर स्थित मुख्यालय में भेजे जाते हैं, जिससे भविष्य में किसी प्रकार की जरूरत होने पर ये आंकड़े उपलब्ध हो सकें.