अजमेर.कोरोना वायरस का कहर पूरी दुनिया में जारी है. भारत में कोरोना मरीजों की संख्या 21 लाख से ऊपर हो चुकी है. राजस्थान में यह आंकड़ा 50 हजार से भी ज्यादा हो चुका है. जबकि मरने वालों की संख्या भी 700 के पार है. अकेले अजमेर जिले में ही अब तक 85 लोगों की मौत हो चुकी है, लेकिन सवाल यह है कि जिस वायरस की वजह से लोग जीते जी एक दूसरे को छूने से कतरा रहे हैं, तो मरने के बाद लोगों का अंतिम संस्कार कैसे हो ?
अजमेर को राजस्थान का ह्रदय कहा जाता है. यही वजह है कि अजमेर के चारों ओर राजमार्ग हैं. वहीं, विश्व विख्यात जगतपिता ब्रह्मा का मंदिर और ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह भी अजमेर में होने से यहां बड़ी संख्या में लोगों का आना-जाना लगा रहता है. मृत्यु एक सच है. दुनिया में जो आया है, उसे जाना ही पड़ता है. लेकिन हर कोई चाहता है कि उसकी अंत्येष्टि सम्मानजनक और धार्मिक रीति-रिवाजों के अनुसार हो. समाज में ऐसे कई लोग हैं, जिन्हें अपनों का कंधा भी नसीब नहीं होता है.
ETV भारत ने अजमेर में कोरोना संक्रमण काल में शवों की अंत्येष्टि को लेकर पड़ताल की. देश में विविध धर्मों के लोग हैं, जिनकी अपनी संस्कृति और परंपराएं हैं. ऐसे में अंतिम क्रिया कर्मों की भी अलग-अलग विधियां हैं. धार्मिक और ऐतिहासिक नगरी अजमेर में सभी धर्मों के लोग रहते हैं. सभी के अपने-अपने धर्म के मुताबिक जिले में श्मशान, कब्रिस्तान और ग्रेव्यार्ड हैं. जहां हर अमीर-गरीब व्यक्ति का अंतिम संस्कार उसके धर्म के अनुसार किया जाता है.
जिन शवों की शिनाख्त नहीं हो पाती उनका क्या ?
अजमेर से कई राजमार्ग होकर गुजरते हैं. वहीं, धार्मिक नगरी होने की वजह से कई लोगों का यहां आना-जाना लगा रहता है. कई लोग ऐसे होते हैं जिनकी विभिन्न परिस्थितियों में मौत हो जाती है और उनकी शिनाख्त हो जाती है तो उसके अपने अंतिम संस्कार कर देते हैं. लेकिन जिन शवों की शिनाख्त नहीं हो पाती उनका क्या?
ईटीवी भारत ने पड़ताल की तो पता चला कि ऐसे शवों को शिनाख्त के लिए अस्पताल की मोर्चरी में रखा जाता है. अजमेर जेएलएन अस्पताल की मोर्चरी में दो डिफिज्रर है. ऐसे शवों को 3 दिन तक रखने के बाद नगर निगम या धार्मिक संस्थाओं के माध्यम से उनका अंतिम संस्कार कर दिया जाता है. आपकों बता दें कि दिल्ली के स्वास्थ्य विभाग ने यह दावा किया कि शव के अंतिम संस्कार से कोरोना वायरस नहीं फैलता है, लेकिन फिर भी लोग अपनों से दूरी बना रहे हैं.
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अजमेर में हर बड़े क्षेत्र में श्मशान हैं. वहीं, कब्रिस्तान और ग्रेव्यार्ड भी मौजूद हैं, जिनका संचालन क्षेत्र की समितियां, नगर निगम या विभिन्न धर्म से जुड़ी संस्थाए करती हैं. कोरोना संक्रमण काल में सरकार के नियमों के अनुसार कोरोना संक्रमित मृत व्यक्ति को अस्पताल से सबसे नजदीक श्मशान, कब्रिस्तान और ग्रेव्यार्ड में शवों की अंत्येष्टि करने का प्रावधान है.