अजमेर. चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत नेत्र सहायकों की पदोन्नति को लेकर लिया गया निर्णय लागू नहीं किया गया है. 2016 में मंत्रिमंडलीय उप समिति की बैठक में पदोन्नति को लेकर निर्णय लिया गया था. जिसके चलते वर्षों से नेत्र सहायक पदों पर काम कर रहे कार्मिकों को पदोन्नति का लाभ नहीं मिल पा रहा है. बता दें कि 32 वर्षों से नेत्र सहायकों के लिए कोई पदोन्नति पद सर्जित नहीं किया गया है.
प्रदेशभर में 295 नेत्र सहायक कार्यरत हैं राजस्थान ऑप्थेमिलिक एसोसिएशन के बैनर तले नेत्र सहायकों ने पदोन्नति पद सृजित करने एवं पदोन्नत करने की सरकार से मांग की है. जिला कलेक्ट्रेट के बाहर मंगलवार को नेत्र सहायक लामबंद हुए. जहां उन्होंने जिला कलेक्टर को मुख्यमंत्री के नाम मांग पत्र सौंप कर पदोन्नति पद सृजित करने एवं पदोन्नत करने की मांग की है. नेत्र सहायक राजेश कुमार ने बताया कि प्रदेश में 295 नेत्र सहायक कार्यरत हैं. जिनमें से 32 नेत्र सहायक अजमेर में कार्यरत हैं.
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राज्य सरकार सभी विभागों में कार्यरत कार्मिकों को समय-समय पर पदोन्नति का लाभ देती है, लेकिन नेत्र सहायकों के प्रति राज्य सरकार का व्यवहार वर्षों से भेदभाव पूर्ण रहा है. 32 वर्षों से नेत्र सहायक के लिए ना तो पदोन्नति पद सृजित किया गया है ना ही कोई पदोन्नति का लाभ दिया गया है. कई नेत्र सहायक रिटायर्ड भी हो चुके हैं, जिन्हें भी पदोन्नति का लाभ नहीं मिला है.
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत नेत्र सहायकों की राष्ट्रीय अंधता निवारण कार्यक्रम में मुख्य भूमिका है. इनके द्वारा अस्पताल में नेत्र रोगियों की प्राथमिक जांच उपचार, चश्मे के नंबर की जांच, मोतियाबिंद आदि की जांच, स्कूल के बच्चों का नेत्र परीक्षण करना नेत्रदान के लिए जनजागृति अभियान चलाना, नेत्रदान के लिए मृत व्यक्ति के शरीर से उसकी आंखें निकालने तक का काम किया जाता है.