अजमेर. धार्मिक व पर्यटन नगरी अजमेर सौहार्द की नगरी है. यहां की आपसी सद्भाव की मिसाल पूरी दुनिया जानती है. हिन्दू, मुस्लिम, जैन के अलावा ईसाई समाज के भी प्राचीन प्रमुख धार्मिक स्थल यहां पर है. उत्तर भारत का मसीह समाज का सबसे बड़ा केंद्र अजमेर में है. अजमेर शहर में 10 प्राचीन चर्च है. जो अपनी स्थापत्यकला की मिसाल है. इसी बीच अगर बात क्रिसमस की हो तो अजमेर में इसे लेकर विशेष उत्साह बना हुआ है. यहां के प्राचीन चर्च रोशनी की मनमोहक सजावट से बरबस ही राह से गुजरते लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं.
क्रिसमस डे को लेकर अजमेर में तैयारियां पूरी चर्च के भीतर विशेष सजावट की गई है. वहीं इस दिन को और भी खास बनाने के लिए समाज के लोग जुटे हुए हैं. सेंट एंसलम चर्च के फादर कॉसमॉस शेखावत बताते हैं कि क्रिसमस पर्व से पूर्व मसीह समाज चर्च में रोशनी के लिए अलग-अलग दिन कैंडल जलाते हैं. जिसके साथ प्रेम, शांति आनंद की दुआ की जाती है. अंतिम कैंडल क्रिसमस के दिन प्रभु यीशु के लिए जलाई जाती है. जिससे उनका आशीर्वाद मिलता रहे और प्रेम, शांति और आनंद से लबरेज होकर इंसान इनका अन्य लोगों में प्रसार कर सके.
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मसीह समाज के धार्मिक स्थल चर्च के साथ लोग अपने घरों में भी विशेष तैयारियां कर रहे हैं. खासकर युवाओं में क्रिसमस को लेकर जबरदस्त उत्साह है. स्तुति बताती है कि घर में सजावट करने के साथ ही क्रिसमस पर घर आने वाले मेहमानों के लिए केक बनाए हैं. उन्होंने बताया कि क्रिसमस के दिन उनका जन्मदिन भी है. ऐसे में उनके लिए डबल खुशी का दिन है. उन्हें सालभर से क्रिसमस का इंतजार रहता है. ताकि क्रिसमस के साथ जन्मदिन की खुशियां अपनों के साथ मना सकें. वहीं क्रिसमस गिफ्ट के साथ जन्मदिन के गिफ्ट भी उन्हें मिलेंगे.
क्रिसमस खुशियों का त्यौहार है. मान्यता है कि धरती पर पाप का अंत करने के लिए प्रभु यीशु का जन्म हुआ था. प्रभु यीशु के जन्म के दिन क्रिसमस मसीह समाज का सबसे बड़ा पर्व है. स्थानीय विपिन बैंसिल बताते हैं कि क्रिसमस पर्व पर चर्चों में विशेष प्रार्थना सभाएं होंगी. जिनमें पूरी दुनिया के लिए अमन और शांति की दुआएं भी की जाएगी. क्रिसमस के लिए अब समय कम बचा है. इसे लेकर लोग तैयारियों को अंतिम रूप दे चुके हैं और अब अपनो के साथ क्रिसमस सेलिब्रेशन का सबको इंतजार है.