अजमेर. शहर में यातायात दबाव की समस्या एक दशक पुरानी है. शहर का मास्टर प्लान कभी बना ही नहीं. भौगौलिक रूप से शहर की संरचना के चलते भी शहर में यातायात सुगम हो पाना मुश्किल हो गया है. धार्मिक नगरी होने के कारण यहां सैलानियों के आने के कारण भी वाहनों का सदैव दबाव बना रहता है. शहर के मुख्य बाजारों में दुकानदारों के अस्थाई अतिक्रमण यातायात व्यवस्था को धता बता रहे हैं. रही सही कसर रेहड़ी और फेरी वाले पूरी कर देते हैं. यूं कहें तो अजमेर की यातायात व्यवस्था का कोई धणी धोरी नहीं है.
अजमेर शहर को स्मार्ट सिटी बनाया जा रहा है, लेकिन शहर में यातायात व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने पर जिम्मेदार ध्यान नहीं दे रहे हैं. गनीमत है कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट आने से शहर को एलिवेटेड ब्रिज की सौगात मिल गई. हालांकि एलिवेटेड ब्रिज का लाभ आमजन को मिलने में अभी एक वर्ष का समय और लगेगा. हालांकि यह ब्रिज कोई स्थाई समाधान नहीं है. बल्कि शहर की यातायात व्यवस्था को सुगम बनाने के लिए विशेष कार्य योजना पर कार्य करना आवश्यक है.
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शहर की भौगोलिक संरचना कटोरे के समान है जिसका असर शहर की बसावट पर भी पड़ा है. शहर की सड़कें उतनी चौड़ी नहीं है जितनी एक विकसित शहर के लिए जरूरी होती है. वहीं शहर के बाजार भी संकरे हैं. दुकानदार और रेहड़ी वालों के अतिक्रमण से हालात और भी ज्यादा खराब हो गए हैं. अस्थाई अतिक्रमण से सड़कें और भी संकरी हो गईं हैं.
पार्किंग न होने से लगता है जाम
बाजारों में पार्किंग की उचित व्यवस्था न होने के कारण दुकान के बाहर ही लोग अपने वाहन पार्क कर देते हैं. इससे मार्ग और संकरा हो जाता है और लोगों को जाम का सामना करना पड़ता है. स्थानीय लोगों का कहना है कि यातायात व्यवस्था बेहतर और सुगम होनी चाहिए. फौरी तौर पर यातायात पुलिस अस्थाई अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई करती है लेकिन बाद में फिर हालात जस के तस हो जाते हैं. बदहाल यातायात व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण कारण शहर में पार्किंग की व्यवस्था का नहीं होना भी है. इसके साथ ही नगर निगम ने वेंडर और नॉन वेंडर जोन घोषित किए हुए हैं लेकिन उनकी पालना नहीं हो पा रही है. इस कारण नॉन वेंडर जोन में भी रेहड़ी वाले अतिक्रमण कर रहे हैं.