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सूना पड़ा ख्वाजा का दर...800 साल में पहली बार नहीं हो पाई दरगाह परिसर में ईद की नमाज अदा - world famous sufi saint

विश्व प्रसिद्ध सूफी संत ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह, जहां ईद-उल-फितर के मौके पर शाहजनी मस्जिद में नमाज अदा करने के बाद एक दूसरे को बधाई दी जाती है. वहीं ईद के मौके पर अल सुबह 4 बजे जन्नती दरवाजा भी खोल दिया जाता है. जहां जायरीनों की जन्नती दरवाजे में से गुजरने को लेकर होड़ सी मची रहती है. लेकिन 800 साल में पहली बार ऐसा हुआ है कि दरगाह शरीफ में न तो कोई बंदा है और न ही कोई जायरीन. पहली बार जन्नती दरवाजे में से कोई भी जायरीन प्रवेश नहीं कर पाया है और न ही इस बार ईद की नमाज अदा की गई.

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नहीं हो पाई दरगाह में ईद की नमाज अदा

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Published : May 25, 2020, 1:14 PM IST

Updated : May 26, 2020, 2:06 PM IST

अजमेर.देश भर में कोरोना संक्रमण के चलते लॉकडाउन के बीच दरगाह शरीफ में आम जायरीनों के प्रवेश पर हाल-फिलहाल रोक लगा दी गई है, जिसके बाद कोई भी जायरीन दरगाह शरीफ में प्रवेश नहीं कर सकता है. अब ऐसे में ईद-उल-फितर के मौके पर दरगाह शरीफ में निभाई जाने वाली रस्में तो खादिम समुदाय द्वारा निभाई जा रही है. लेकिन वह जन्नती दरवाजा जो साल में केवल चार बार ही खोला जाता है, जिसमें से जायरीनों की निकलने की चाहा रहती है. लेकिन 800 साल में पहली बार कोई भी जायरीन उस जन्नती दरवाजे से प्रवेश नहीं कर पाएगा.

नहीं हो पाई दरगाह में ईद की नमाज अदा

इस महामारी के बीच पहली बार ऐसा हुआ है, जब विश्व प्रसिद्ध सूफी संत ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह के बाहर किसी तरह की चहल-पहल नजर नहीं आ रही. न ही दुकानें खुली हैं और न ही दरगाह में कोई भी जायरीन नजर आ रहा है. केवल खादिमों की संस्था अंजुमन सैयद जादगान और खादिमों द्वारा ईद की रस्मों को अदा किया जा रहा है.

दरगाह में साल में 4 बार ही जन्नती दरवाजा खोला जाता है

वहीं बात करें पहले की तो दरगाह शरीफ का नजारा कुछ और ही होता था. जहां सुबह से ही लोगों की चहल-पहल होना शुरू हो जाती थी और सुबह 9 बजे शाहजानी मस्जिद में ईद की नमाज को अदा किया जाता था. नमाज मौलाना तौसीफ अहमद सिद्दीकी की सदारत में होती थी.

इन मौकों पर खुलता है जन्नती दरवाजा

ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह में साल में 4 बार ही जन्नती दरवाजा खोला जाता है, जो ईद-उल-फितर, ईद-उल-जुहा ,ख्वाजा उस्मान हारुनी का उर्स और ख्वाजा गरीब नवाज के उर्स में ही खोला जाता है. कोई ऐसा कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति हज पर नहीं जा पाया, वह ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह में अपनी हाजिरी को लगाता है और ईद के मौके पर देश-विदेश से ख्वाजा गरीब नवाज के शहर अजमेर में जायरीनों आवक भी बढ़ जाती है.

सूना पड़ा ख्वाजा का दर...

लेकिन देश में इस महामारी के बीच पहली बार ऐसा हुआ है कि यहां कोई भी जायरीन इस बार अजमेर नहीं आ पाया. ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह को लॉकडाउन के चलते बंद किया जा चुका है.

Last Updated : May 26, 2020, 2:06 PM IST

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