अजमेर. गर्मी का सीजन शुरू हो चुका है. वहीं कोरोना की दूसरी लहर दोगुनी रफ्तार से लोगों को संक्रमित कर रही है. इस बीच लोग जहां कोरोना से बचाव का जतन कर रहे हैं. वहीं भीषण गर्मी मैं अपनी प्यास बुझाने के लिए फ्रिज का ठंडा पानी पीने से कतरा रहे हैं. यही वजह है कि गरीब का फ्रिज कहे जाने वाले मिट्टी के मटकों की मांग बढ़ गई है. अधिकांश लोगों का तर्क है कि कोरोना काल में जुखाम से बचने के लिए घड़े का पानी श्रेष्ठ है.
तल्ख गर्मी में प्यासे कंठ को शीतल जल मिल जाने से तृप्ति का अहसास होता है. सदियों से लोग मिट्टी के घड़ों का पानी पीते आए हैं. यह शुद्ध रूप से प्राकृतिक है और मिट्टी की सोंधी खुशबू से शीतल जल का स्वाद और भी बढ़ जाता है. तल्ख गर्मी के साथ अजमेर में कोरोना का सितम भी जारी है. भीषण गर्मी और कोरोना की वजह से लोग घर से बाहर कम ही निकल रहे हैं. यही वजह है कि हमेशा आबाद रहने वाली सड़के दोपहर को सूनी दिखाई देती हैं.
वहीं शाम को 7 बजे कोरोना की वजह से कर्फ्यू राज्य सरकार ने लगाने के आदेश दिए हैं. ऐसे में शाम के 5 से 7 बजे के समय में लोग घरों से सामान खरीदने बाहर निकलते हैं. सड़क के किनारे तल्ख गर्मी में ग्राहकों के इंतजार में शाम हो जाती है और दो घण्टे की ग्राहकी में मटकों की खरीद पर असर पड़ा है. मटका व्यापारी प्रभु लाल बताते हैं कि भीषण गर्मी और कोरोना की वजह से मटकों की मांग बढ़ी हैं, लेकिन दिन के वक़्त ग्राहक नहीं आते. ग्राहक की शाम को ही शुरू होती है, लेकिन सरकार ने कर्फ्यू के आदेश दे दिए हैं. जिस कारण मांग बढ़ने के बावजूद ग्राहक की कम हो रही है.