अजमेर. बर्ड फ्लू प्रदेश के पक्षियों के लिए बड़ा खतरा बनकर उभर रहा है. सैकड़ों कौओं की इससे मौत हो चुकी है. अभी तक अजमेर में एक भी मामला बर्ड फ्लू का सामने नहीं आया है, लेकिन पोल्ट्री फार्मर्स को चिंता सताने लगी है. पहले ही कोरोना में पोल्ट्री फार्म उद्योग को भारी झटका लग चुका है. अब बर्ड फ्लू की दस्तक ने पोल्ट्री फार्मर्स के होश उड़ा दिए हैं. राज्य कुक्कुट प्रशिक्षण संस्थान के अधिकारी जिले में मुर्गीपालन करने वाले किसानों को जागरूक करने में जुटे हैं.
बर्ड फ्लू से मुर्गियों को कैसे बचाएं मरी हुई मुर्गियों को खुले में ना फेंके
राज्य कुक्कुट प्रशिक्षण संस्थान के वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. आलोक खरे ने ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत में कहा "पोल्ट्री फार्म व्यवसाय करने वाले लोगों को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है. पोल्ट्री फार्म की सफाई, स्प्रे और इम्यूनिटी बढ़ाने की दवाएं मुर्गियों को देनी होंगी. सबसे महत्वपूर्ण है कि पोल्ट्री फार्म पोल्ट्री में मरने वाली मुर्गियों को खुले में ना फेंके. खुले में मुर्गियां फेंकने से कौए उन्हें खाएंगे और जिससे संक्रमण फैलने का खतरा बना रहेगा. साथ ही कौओं को भी पोल्ट्री फार्म पर नहीं आने दें".
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डॉ. खरे ने बताया "देश में 2006 में महाराष्ट्र में बर्ड फ्लू आया था. राजस्थान में बर्ड फ्लू के काफी केस सामने आ रहे हैं. झालावाड़ में बड़े स्तर पर कौओं की मौत की वजह बर्ड फ्लू सामने आई है. अजमेर में भी कुछ एक इलाकों में कौओं के मरने के मामले सामने आए हैं. सोमवार को पुष्कर में भी कौए मरे हुए मिले थे, जिनके अवशेषों को जांच के लिए भोपाल प्रयोगशाला में भेज दिया गया है. रिपोर्ट आने के बाद ही साफ हो पाएगा कि कौओं की मौत नेचुरल है या बर्ड फ्लू के चलते".
पक्षियों की मौत की जानकारी के लिए बनाया कंट्रोल रूम
उन्होंने बताया कि बर्ड फ्लू का संक्रमण होने से बड़े स्तर पर पक्षियों की मौत होती है. फिलहाल तो अमजेर में ऐसा देखने को नहीं मिल रहा है. सावधानी बरतते हुए विभाग के अधिकारी पोल्ट्री फार्मर्स को जागरूक करने में जुटे हुए हैं. पोल्ट्री फार्मर्स को बताया जा रहा है कि उनके क्षेत्र में यदि कोई भी पक्षी मरता है तो इसकी सूचना वह तुरंत प्रभाव से विभाग को दें. इसके लिए एक कंट्रोल रूम भी बनाया गया है.