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नहीं है कोरोना का खौफ!...अकेला ही करता है शवों का अंतिम संस्कार - rajasthan news

कोरोना के इस दौर में जहां लोग एक दूसरे को छूने से डर रहे हैं. वहीं, अजमेर में एक शख्स ऐसा है जिसने अब तक अकेले ही 14 कोरोना संक्रमित मरीजों का अंतिम संस्कार कर चुका है. उसका कहना है कि वह ईश्वर का शुक्रिया अदा करता है कि उसने इसे ये काम करने का मौका दिया.

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दिनेश करता है संक्रमित शवों का अंतिम संस्कार

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Published : Jul 3, 2020, 7:43 PM IST

अजमेर.कोरोना का नाम सुनते ही लोगों के मन में डर व्याप्त हो जाता है. किसी घर में कोरोना का मरीज हो तो आसपास के लोग डर में रहने लगते हैं, लेकिन दिनेश नामक व्यक्ति अब तक अकेला ही 14 संक्रमित मरीजों का अंतिम संस्कार कर चुका है. दिनेश का कहना है कि वह लगातार अकेला ही सभी मरीजों का अंतिम संस्कार करने में जुटा हुआ है.

दिनेश करता है संक्रमित शवों का अंतिम संस्कार

दिनेश ने बताया कि उसे किसी भी बात का डर नहीं है, बल्कि वह इस काम के लिए ईश्वर का शुक्रिया अदा करता है. दिनेश ने कहा कि वह अकेले ही उन सभी मरीजों का अंतिम संस्कार करता है, जिनकी कोरोना के चलते मौत हो जाती है. उसने बताया कि अंतिम संस्कार के समय किसी को भी अंदर प्रवेश नहीं दिया जाता और लगातार नगर निगम की गाड़ी पूरे रास्ते सैनिटाइजेशन करती हुई मोक्ष धाम में प्रवेश करती है.

अब तक किए 30 अंतिम संस्कार...

दिनेश ने बताया कि अब तक उसने गैस शवदाह गृह में 30 लोगों का अंतिम संस्कार कर चुका है. जिसमें 14 कोरोना संक्रमित मरीज थे. दिनेश ने कहा कि उसका परिवार उसके साथ है और उसे किसी भी बात का डर नहीं. बता दें कि दिनेश किसी प्राइवेट कंपनी द्वारा मोक्ष धाम पर लगाया गया है.

अंतिम संस्कार में लगता है एक से सवा घंटा...

दिनेश ने बताया कि अंतिम संस्कार में लगभग एक से सवा घंटा लगता है, क्योंकि कई बार कोरोना संक्रमित मरीजों की बॉडी डीप फ्रीजर में रख दी जाती है. उसकी वजह से उसे जलने में काफी समय लगता है. नगर निगम के कर्मचारियों की ओर से कोरोना संक्रमित शव को मशीन पर दिया जाता है. उसके बाद सारा काम वह खुद अकेला करता है.

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2018 से संचालन हो रहा यह शवदाह गृह...

अजमेर विकास प्राधिकरण की ओर से 2016 में इस शवदाह गृह के निर्माण का निर्णय लिया गया था. इसके निर्माण की लागत की बात की जाए तो लगभग 94.68 लाख रुपए इसमें खर्च किए गए थे. वहीं, प्राधिकरण की ओर से 1 सितंबर 2018 से ऋषि घाटी श्मशान में गैस आधारित शवदाह गृह का संचालन कर दिया गया था.

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