अजमेर.ऐतिहासिक डिग्गी तालाब कभी क्षेत्र के लोगों की प्यास बुझाया करता था, लेकिन आज प्रशासन की अनदेखी से दुर्दशा का शिकार हो रहा है. इसकी दुर्दशा देखकर लगता है कि तालाब के आसपास के लोगों और प्रशासन में जिम्मेदारों की आंखों का पानी जरूर खत्म हो चुका है.
अजमेर की प्यास बुझा सकता है ये तालाब... ऐसा नहीं है कि इसमें पानी नहीं है. अजमेर में भयंकर पेयजल समस्या के वक्त भी तलाब का पानी नहीं सुखा. डिग्गी तलाब में 12 महीने पानी रहता है. लेकिन प्रशालन की लापरवाही के कारण पानी का समस्या बरकरार है.
शहर के बीचोंबीच सुंदर डिग्गी तालाब का अस्तित्व अभी बचा हुआ है, लेकिन क्षेत्र के लोगों और प्रशासन की घोर लापरवाही से तालाब का पानी दूषित हो गया है. चौहान वंश के राजाओं ने इस तालाब को अपनी प्रजा की प्यास बुझाने के लिए बनवाया था. सदियों से क्षेत्र के लोग इस तालाब का पानी पीते आए हैं. करीब 20 वर्ष पहले तक तालाब का पानी पीने के काम में लिया जा रहा था. उस वक्त जलदाय विभाग मोटर से पानी की सप्लाई घरों में किया करता था. मगर 20 वर्षों में तलाब की सूरत ही बदल गई.क्षेत्र के लोगों को बीसलपुर परियोजना से घरों में पानी मिलने लगा और तब से डिग्गी तालाब की बर्बादी शुरू हो गई.
क्षेत्र के बुजुर्ग बताते हैं कि डिग्गी तालाब के पानी पर पूरा क्षेत्र निर्भर था. अब वही पानी पीना तो दूर हाथ धोने के काबिल भी नहीं रहा है. प्रशासन कोई ध्यान नहीं देता और आसपास के लोग तलाब को कचरा पात्र के रूप में इस्तेमाल करते हैं.
क्षेत्र के पूर्व पार्षद पवन सिवासिया बताते हैं कि जलदाय मंत्री रहते सांवरलाल जाट ने तालाब की सफाई एवं जीर्णोद्धार करवाया था. मगर उसके बाद जिम्मेदारों ने तालाब की कभी सुध नहीं ली. लोग घर की गंदगी के साथ-साथ पूजा में काम ली जाने वाली सामग्री तलाब में डाल देते हैं. सिवासिया ने कहा कि अजमेर में पानी की किल्लत है. यदि प्रशासन तालाब की सफाई करवाकर गंदगी फैलाने वालों से सख्ती से निपटे तो क्षेत्र में पानी की किल्लत तालाब के पानी से पूरी हो सकती है.
तालाब में पानी की आवक का है भूमिगत स्त्रोत...
डिग्गी तालाब के चारों और मकान और बस्तियां बसी हुई है. यानी प्राकृतिक रूप से नदी नाले से बरसात का पानी आने का इसमें कोई स्रोत नहीं है. तालाब में पानी का स्त्रोत भू जल स्त्रोत है. जिससे तालाब में पानी की आवक स्वच्छ रहती है मगर लोगों द्वारा फैलाई गई गंदगी से पानी दूषित हो गया है.
हालात यह है कि गंदगी और बदबू से परेशान क्षेत्र के लोगों की मांग पर तालाब से ऊपरी तौर पर कचरा तो सप्ताह में एक बार निकाल लिया जाता है. मगर तालाब के पानी को स्वच्छ बनाने में जिम्मेदार भी कोई दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं.
जल स्वावलंबन की पोल खोलता डिग्गी तालाब...
वसुंधरा सरकार में मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान के तहत प्राचीन जल स्त्रोतों के रखरखाव और उनके संरक्षण को लेकर अभियान चलाया गया था. मगर अभियान में नेताओं और अधिकारियों ने सफाई करते हुए अपनी फोटो खिंचवाई और खूब वाहवाही लूटी. मगर हकीकत सभी के सामने है. अभियान की पोल खोलता यह डिग्गी तालाब दुर्दशा का शिकार है. शहर के बीचोंबीच होने के बावजूद भी प्रशासन की नजर इस तालाब की दुर्दशा पर नहीं पड़ रही है.