अजमेर. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत महामारी को लेकर गंभीर नजर आ रहे हैं. आखिरी तबके तक जांच और अन्य मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध करवाने की बात कहते नजर आ रहे हैं. वहीं अजमेर जिला प्रशासन इन आदेशों के बावजूद भी उदासीन नजर आ रहा है.
अजमेर के ग्रामीण इलाकों के हालात हाथीखेड़ा ग्राम पंचायत के सरपंच लाल सिंह रावत ने पंचायत समिति क्षेत्र की कमान अपने हाथों में ली है. जाहिर है कि जिस तरह के हालात अभी सामने हैं उन्हें ध्यान में रखते हुए प्रशासन के भरोसे रहना खतरनाक साबित हो सकता है. इसीलिए उन्होंने अपने पंचायत समिति क्षेत्र में व्यवस्थाओं की कमान संभाल ली है.
गांव में नहीं है जांच की सुविधा
हाथी खेड़ा ग्राम पंचायत समिति के अंतर्गत अब तक लगभग 25 मौतें सामने आ चुकी हैं. जिनके कारणों की अभी तक कोई भी पुष्टि नहीं हुई है. इन मौतों में से 90 प्रतिशत मौतें सर्दी, जुकाम, खांसी बुखार, सांस लेने में तकलीफ की वजह से हुई है. सरपंच लाल सिंह रावत कहते हैं कि गांव में शिक्षा का अभाव है. प्रशासन की ओर से ग्रामीण क्षेत्रों में आरटी पीसीआर टेस्ट करवाने की सुविधा उपलब्ध नहीं करवाई जा रही. ऐसे में ग्रामीण सर्दी जुकाम या खांसी बुखार होने पर या तो मेडिकल से दवा लेकर आ जाते हैं या फिर किसी झोलाछाप डॉक्टर के चक्कर में पड़ जाते हैं. जिसकी वजह से संक्रमण की सही स्थिति का पता नहीं चल पा रहा है.
ग्रामीण स्तर पर ही बनाए कंटेनमेंट जोन
लाल सिंह रावत कहते हैं की पंचायत समिति के अंतर्गत आने वाली 26 कॉलोनियों में से अधिकतर कॉलोनियों में कंटेनमेंट जोन बनाए गए हैं. जहां भी एक-दो पॉजिटिव मिल रहे हैं वहां पूरी गली को सीज किया जा रहा है.
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बीमार लोगों को बांटी जा रही है दवाई
इस वक्त हाथी खेड़ा ग्राम पंचायत में 600 से 700 लोग बीमार हैं. स्थिति की गंभीरता को देखते हुए ग्राम पंचायत समिति सरकार की तरफ से आवंटित की गई दवाओं के किट इन बीमार लोगों को बांट रही है. लेकिन ग्राम पंचायत के अंतर्गत आने वाली 25 हजार की आबादी के लिए इतने से किट ऊंट के मुंह में जीरे के समान साबित हो रहे हैं.
प्रशासन की लापरवाही
ग्रामीणों ने बताया कि गांव में प्रशासन की तरफ से न तो जाँच की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है और न ही टीकाकरण के लिए कैंप लगाए जा रहे हैं. गांव में जहाँ आरटी पीसीआर टेस्ट कराने के लिए कोई भी जांच केंद्र मौजूद नहीं है, वहीं प्रशासन ने अब तक 18 साल से अधिक उम्र के लोगों के लिए एक भी वैक्सीनेशन कैंप गांव में नहीं लगाया है. गांव के युवा वर्ग को वैक्सीन के लिए रजिस्ट्रेशन करवाने के बाद भी स्लॉट उपलब्ध नहीं हो पा रहे. ऐसे में ग्रामीणों की मांग है कि सरकार की ओर से ग्राम पंचायत स्तर पर भी वैक्सीनेशन कैंप लगाए जाएं.
गांव वालों का सेल्फ लॉक डाउन ग्रामीण निवासी महेंद्र कैलाश और प्रकाश बताते हैं कि गांव में जितनी मौतें हुई हैं उनमें वृद्ध भी शामिल है. प्रकाश की 98 वर्षीय दादी की भी संक्रमण की वजह से मौत हो गई है इसका कारण उन्हें समय पर सही उपचार का उपलब्ध नहीं होना है. वहीं कैलाश की 60 वर्षीय माता का भी निधन संक्रमण की वजह से हुआ है. गांव में जांच की सुविधा ना मिल पाने की वजह से उन्हें अजमेर के जेएलएन हॉस्पिटल तक लाने में देर हो गई और इस वजह से उनका देहांत हो गया.
ग्रामीण अपने स्तर पर कर रहे हैं कोरोना के जंग की तैयारी
जब तक प्रशासन की नींद नहीं खुल रही तब तक ग्रामीणों ने ग्राम पंचायत स्तर पर ही कोरोना के साथ जंग लड़ने की तैयारी कर ली है. लाल सिंह रावत बताते हैं कि गांव के सभी रास्तों को बलिया लगाकर बंद कर दिया गया है, सिर्फ दो रास्तों को आने जाने के लिए खुला रखा गया है. बाहरी लोगों के गांव में प्रवेश पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है, लेकिन फिर भी यदि कोई बाहरी व्यक्ति गांव में प्रवेश करता हुआ पकड़ा जाता है तो उस पर 5 हजार का जुर्माना लगाया जाएगा. गांव में रहने वाले लोगों के लिए भी सख्त नियम लागू किए जा रहे हैं.
इसके अलावा ग्राम पंचायत अपने स्तर पर ही लोगों के लिए सैनिटाइजर की व्यवस्था करवा रही है. बीमार लोगों के साथ ही जरूरतमंद लोगों को भी ग्राम पंचायत की तरफ से फूड पैकेट दवाइयां आदि उपलब्ध करवाए जा रहे हैं. इसके साथ ही ग्रामीणों को मास्क का वितरण भी किया जा रहा है. ग्राम पंचायत पूरे गांव को अपने स्तर पर सैनिटाइज भी करवा रही है.