अजमेर. कोरोना वायरस का प्रभाव त्योहारों पर भी पड़ रहा है. ऐसे में बाजारों की रौनक भी फीकी पड़ रही है. आमतौर पर हर साल रक्षाबंधन से करीब एक माह पहले ही बहनें दूसरे शहरों में रह रहे भाइयों को राखी भेजने के लिए खरीदारी करना शुरू कर देतीं थीं, लेकिन इस साल कोविड-19 की वजह से इसका बाजार भी सूना पड़ा है. भाई-बहन के प्यार के बंधन पर इस बार कोराेना का संकट छाया हुआ है.
ग्राहकों के इंतजार में दुकानदार
भाई-बहन के स्नेह का प्रतीक रक्षाबंधन का पर्व तीन अगस्त को मनाया जाएगा. ऐसे में 15 दिन का ही समय शेष रह गया है. लेकिन कोरोना के चलते पर्व पर इस बार कुछ खास रौनक देखने को नहीं मिलेगी. दुकानदारों का कहना है कि राखी पर माल तो मंगवा लिया है, लेकिन अजमेर का मदार गेट हो या पुरानी मंडी या कैसरगंज हर और बाजार सूने नजर आ रहे हैं. पूरा दिन ग्राहकों के इंतजार में ही निकल जा रहा है.
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सभी स्टॉलों पर रंग-बिरंगी और आकर्षक राखी सजी हुई हैं. सामान्यत: दुकानों में 10 रुपये से 500 रुपये तक में राखी मिल रहीं हैं. बच्चों के लिए कॉर्टून कैरेक्टर में कई राखियां बाजार में हैं. इनमें डोरेमॉन, छोटा भीम के अलावा लाइट वाली राखियां भी शामिल हैं.
नए पैटर्न में आईं राखियां
राखियां कई पैटर्न में आ रहीं हैं. धागे वाली राखी, चंदन राखी, आर्टिफिशियल डायमंड राखी समेत कई रंगों और डिजाइनों में राखी उपलब्ध हैं. वहीं महिलाओं के लिए झूमर और चूड़ा राखियां भी बाजारों में उपलब्ध हैं. उधर, राखी के स्टॉल अभी सूने ही नजर आ रहे हैं. जबकि बीते साल रक्षाबंधन से एक महीना पहले ही बहनें राखी की खरीदारी शुरू कर देती थीं.
दुकानदारों का कहना है कि हर साल रक्षाबंधन के त्योहार पर 1.50 लाख रुपए तक की राखियां बिक जाती हैं, लेकिन इस बार 50 हजार का माल बिकने की भी उम्मीद नहीं है. दुकानदार विमल गर्ग ने बताया कि हर बार रक्षाबंधन से 25 से 30 दिन पहले ही बाजारों में रौनक दिखने लगती थी, लेकिन इस बार सन्नाटा है. अब ऐसे में व्यापारियों के सामने संकट खड़ा हो चुका है.