अजमेर. कोरोना की दूसरी लहर की वजह से सरकारी अस्पतालों का भी दम फूल रहा है. कहीं बेड नहीं, कहीं ऑक्सीजन नहीं तो कहीं वेंटिलेटर नहीं है. हालत इस कदर खराब हैं कि लोग अस्पताल के गेट पर ही दम तोड़ रहे हैं. अजमेर में भी संभाग के सबसे बड़े जेएलएन अस्पताल का बुरा हाल है. यहां भी जगह की कमी है. लोगों को गेट से ही वापस किया जा रहा है. मजबूरी में लोग अब निजी अस्पतालों का रूख कर रहे हैं. लेकिन लोगों का यह भी आरोप है कि निजी अस्पताल इस आपदा में भी अपनी कमाई का अवसर तलाश रहे हैं और मनमाना बिल वसूल कर रहे हैं.
अजमेर में मजबूरी का फायदा उठा रहे निजी अस्पताल मजबूरी में निजी अस्पताल में करा रहे हैं इलाज
रेलवे से रिटायर्ड एक मरीज के परिजनों ने बताया कि उन्होंने मरीज को गंभीर हालत में निजी अस्पताल में भर्ती कराया है. प्रियंका नरूका ने बताया कि उनके पिता को गंभीर हालत में रेलवे हॉस्पिटल से जेएलएन हॉस्पिटल रेफर किया गया था लेकिन जेएलएन हॉस्पिटल में बेड नहीं मिलने की वजह से वे लोग अपने पिता को लेकर सेटेलाइट हॉस्पिटल गए. वहां भी उन्हें भर्ती नहीं किया गया. शहर में सरकार द्वारा अधिकृत किए गए 15 बड़े निजी अस्पतालों में भी उनके पिता को भर्ती नहीं किया गया.
सरकारी अस्पतालों में बेड फुल रेफर मरीजों की मुश्किलें बढ़ीं
सरकार द्वारा अधिकृत निजी अस्पतालों का कहना है कि वह पहले अपने निजी मरीजों को प्राथमिकता देंगे ना कि रेफर किए हुए मरीजों को. ऐसे में प्रियंका अपने पिता को लेकर एक छोटे से निजी अस्पताल लेकर पहुंचीं. प्रियंका के मुताबिक यहां उनके पिता को बेहतर ट्रीटमेंट दिया जा रहा है. हालांकि यहां भी प्रियंका के भाई ने बड़ी मशक्कत के बाद पिता के लिए एक ऑक्सीजन सिलेंडर का बंदोबस्त किया.
पढ़ें-कोटा से टैंकर के जरिए अजमेर को ऑक्सीजन की आपूर्ति की जाए: सांसद भागीरथ चौधरी
'निजी अस्पताल मोटी रकम वसूल रहे'
प्रियंका के भाई धर्मेंद्र सिंह का कहना है कि शहर के प्राइवेट हॉस्पिटल मोटी रकम वसूल रहे हैं. इसके बावजूद भी निजी अस्पताल मरीजों को ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं करा पा रहे हैं. सरकारी अस्पतालों में हालात और ज्यादा खराब हैं.
मरीजों को लेकर आखिर कहां जाएं?
बीते दिनों मित्तल हॉस्पिटल में ऑक्सीजन की कमी सामने आने से जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था का सच आम जनता के सामने आ गया. जेएलएन जैसे संभाग के सबसे बड़े अस्पताल में भी मरीजों के लिए पर्याप्त बेड की व्यवस्था नहीं की जा रही है. हर कोई प्राइवेट हॉस्पिटल का खर्चा उठाने में सक्षम नहीं होता.
मोटी रकम वसूल रहे प्राइवेट अस्पताल सरकारी अस्पताल में बेड फुल
कुछ दिन पहले ही जेएलएन अस्पताल के बाहर स्थित सड़क पर एक मरीज ने तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया. उसका कारण भी अस्पताल में बेड की कमी होना बताया जा रहा है. प्रशासन को चाहिए कि वह जिले के अस्पतालों में पर्याप्त बेड और ऑक्सीजन की व्यवस्था करे ताकि कोरोना की वजह से बिगड़ते हालातों पर काबू पाया जा सके.
पढ़ें- SPECIAL : महामारी की दूसरी 'वेव' में भामाशाह 'लापता'...चुनावी समय तो खूब बंटा था राशन
कैसी है शहर की स्वास्थ्य व्यवस्था ?
हमने एक निजी अस्पताल के संचालक से बातचीत की तो उन्होंने कहा कि बड़े-बड़े अस्पतालों में मरीजों को भर्ती नहीं किया जा रहा है. जेएलएन अस्पताल पहले ही बेड की कमी का हवाला देकर अपने हाथ खड़े कर चुका है. अब प्राइवेट हॉस्पिटल भी ऑक्सीजन की कमी का हवाला देकर मरीजों से पल्ला झाड़ रहे हैं. बड़े-बड़े प्राइवेट हॉस्पिटल में मोटी रकम लेकर मरीजों को भर्ती तो कर लिया जाता है लेकिन अब ऑक्सीजन की कमी बताकर अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ा रहे हैं.
लोगों की मजबूरी का फायदा उठा रहे निजी अस्पताल उपलब्ध संसाधन के जरिए ही इलाज
निजी अस्पताल के संचालक ने बताया कि उनके अस्पताल में गंभीर अवस्था में आने वाले मरीजों को भी उपलब्ध संसाधनों में ही उपचार देने की कोशिश की जा रही है. कई मरीज ऐसे हैं जिन्हें ऑक्सीजन की तत्काल जरूरत होती है उन्हें भी अपने पास उपलब्ध थोड़ी सी ऑक्सीजन देकर उनकी जान बचाने की पूरी कोशिश की जा रही है. हॉस्पिटल में 10 मरीज हैं. इनमें से कोई भी कोरोना पॉजिटिव नहीं है. 2 मरीजों की रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर उन्हें जेएलएन भेज दिया गया जबकि एक मरीज को एमएलए की सिफारिश पर यहीं रखा गया है. उसके लिए जेएलएन हॉस्पिटल में बेड का इंतजाम होते ही उसे वहां शिफ्ट कर दिया जाएगा.