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अजमेरः ईद से पहले की खरीदारी पर कोरोना ग्रहण, 50 करोड़ से अधिक का कारोबार प्रभावित

कोरोना महामारी को रोकने के लिए की गई तालाबंदी से हर छोटे बड़े कारोबारी आहत है. खासकर जब त्यौहार हो तो यह तालाबंदी और भी अखरती है. मगर यह भी सही है कि इस तालाबंदी की वजह से ही हर आम और खास आज कोरोना संक्रमण से सुरक्षित है. इस तालाबंदी ने रमजान माह को भी प्रभावित किया है.

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Published : May 15, 2020, 2:12 PM IST

अजमेर न्यूज, कोरोना महामारी, Ajmer News, Corona epidemic
खरीदारी को कोरोना का ग्रहण

अजमेर. ख्वाजा गरीब नवाज की नगरी अजमेर में रमजान के मौके पर लोग घरों में ही रहने को मजबूर है. दरगाह क्षेत्र में कोरोना संक्रमण का प्रकोप है. 160 से अधिक कोरोना मरीज दरगाह क्षेत्र से मिलने की वजह से इस पूरे इलाके को जीरो मोबिलिटी क्षेत्र घोषित किया गया है.

अजमेर में ईद से पहले की खरीदारी को कोरोना का ग्रहण

बता दें, कि सघन रिहायशी क्षेत्र के साथ क्षेत्र में ज्यादात्तर बाजार भी है. तालाबंदी से पहले तक दरगाह क्षेत्र के बाजारों में रौनक बनी रही, मगर तालाबंदी के बाद हर तरफ सन्नाटा पसरा हुआ है. शहर के दरगाह बाजार, नला बाजार, मदार गेट, डिग्गी बाजार, कपड़ा मार्केट सब कर्फ्यु क्षेत्र में आ चुके है. इसके अलावा अजमेर शहर में लॉकडाउन की सख्ती से पालना होने से पिछले दो माह से कारोबार पूरी तरह से ठप पड़ा है.

50 करोड़ से अधिक का कारोबार हुआ प्रभावित

रमजान में रोजेदारों को केवल आवश्यक खाद्य सामग्री ही मिल पा रही है. मसलन सब्जियां, फल, खजूर, दूध और खाद्य सामग्री इसके अलावा कुछ नहीं मिल रहा, जबकि रमजान माह के शुरुआत के 10 दिन कारोबार कुछ मंदा रहता है, लेकिन इसके बाद ईद की तैयारी को देखते हुए लोग रमजान माह में जमकर खरीदारी करते हैं.

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कपड़े, टेलर, जूते चप्पल, घड़ियां, घरों में साज सज्जा के सामान, ज्वेलरी, सामूहिक रोजा इफ्तार के लिए खाद्य सामग्री, मिठाइयां, ड्राई फ्रूट्स, वाहन, इलेक्ट्रॉनिक सामान, मोबाइल सहित कई वस्तु है, जिनकी खरीदारी रमजान माह में होती है. लेकिन तालाबंदी की वजह से यह खरीदारी लोग नहीं कर पा रहे है. व्यापारियों की मानें तो कोरोना के चलते लॉकडाउन में करोड़ों का व्यापार प्रभावित हुआ है. वहीं, रमजान माह में खरीदारी नहीं होने से फुटकर से लेकर होलसेलर तक के व्यापारियों का 50 करोड़ से ज्यादा का कारोबार प्रभावित हुआ है.

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कोरोना से ईद के चांद पर लगा ग्रहण...

दुनिया में कोरोना बीमारी के प्रकोप के बाद बहुत कुछ बदल चुका है. रमजान माह मुस्लिम समुदाय के लिए बहुत ही पवित्र माना जाता है. रमजान माह में अधिकांश लोग रोजे रखते है. कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन में रोजेदारों को सहरी और इफ्तारी करने में काफी दिक्कतें शुरुआती दिनों में आई. हालांकि उसके बाद आवश्यक खाद्य सामग्रियों की सप्लाई सुचारू होने के बाद लोगों को काफी राहत मिली.

रोजेदारों का अकीदा लॉकडाउन में तकलीफों के बावजूद बरकरार है, बल्कि कोरोना के खिलाफ जारी जंग में घर रहकर लोग खुदा की इबादत कर रहे हैं. लोगों के जीवनकाल में यह पहला अवसर आया है जब अपनी और अपने परिवार के जीवन रक्षा के लिए घर पर रहना पड़ रहा है. 24 या 25 मई को ईद का चांद दिखने पर रोजेदार ईद की खुशियां मनाएंगे. मगर बदले हुए हालातों ने खुशियों को भी सीमित कर दिया है.

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