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अजमेर : अस्पताल में बेड नहीं, मरने के बाद मुक्ति भी नहीं...श्मशानों में अस्थियों का अंबार - श्मशान में अस्थियों का भंडार

कोरोना महामारी ने बहुत कुछ बदल कर रख दिया है. अस्पतालों में मरीजों को बेड नहीं मिल रहे हैं. मरने के बाद मुक्ति भी नहीं मिल रही है. अजमेर में कई श्मशानों में अस्थियों को मुक्ति का इंतजार है. कुछ मृतकों की अस्थियां तो कोरोना की पहली लहर के समय से ही अपनों के इंतजार में रखी हैं.

coronavirus cases in ajmer
मरने के बाद मुक्ति भी नहीं

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Published : Apr 30, 2021, 7:03 PM IST

अजमेर. जन अनुशासन पखवाड़े में एक शहर से दूसरे शहर में जाने पर पाबंदी है. ऐसे में हरिद्वार और पुष्कर अस्थि विसर्जन के लिए लोग नहीं जा पा रहे हैं. श्मशानों में अस्थियां रोज बढ़ती जा रही हैं.

मोक्षधामों में लग रहा अस्थियों का अंबार

अजमेर में कोरोना से मौत हो, सामान्य मृत्यु हो किसी अन्य कारण से, श्मशानों पर अस्थियों का भार बढ़ता जा रहा है. संभाग के सबसे बड़े जेएलएन अस्पताल के समीप पुष्कर रोड स्थित मोक्षधाम पर प्रतिदिन 10 से 12 शव रोज अंत्येष्टि के लिए आ रहे हैं. हालात यह है कि शवों के दाह संस्कार के लिए भी जगह का इंतजार करना पड़ रहा है. ईटीवी भारत ने श्मशान में व्यवस्थाओं की पड़ताल की तो सामने आया कि गैस से संचालित शवदाह का उपयोग लोग नहीं करना चाहते.

इलैक्ट्रॉनिक अंतिम संस्कार नहीं करा रहे लोग

ज्यादातर लोग पारंपरिक रूप से लकड़ियों पर ही मरने वाले व्यक्ति की अंत्येष्टि कर रहे हैं. यही वजह है कि लकड़ियों की खपत भी बढ़ गई है. ऐसा माना जाता है कि श्मशान में अंत्येष्टि के बाद तीसरे दिन अस्थियों को विसर्जन के लिए हरिद्वार या पुष्कर ले जाया जाता है. शमशान से अस्थियों को घर में लाकर नहीं रखा जाता. यही वजह है कि श्मशान में अंत्येष्टि के बाद तीसरे दिन अस्थियों को शमशान के हॉल में ही लाल कपड़े में लपेटकर रखा जा रहा है.

पढ़ें- SPECIAL : मुक्तिधाम में लॉकर हुए 'फुल'...अब बाल्टी, पीपे, डिब्बे और थैलियों में रखी जा रहीं अस्थियां, विसर्जन के लिए इंतजार

हर लाल कपड़े की थैली पर मरने वाले का नाम और परिजन का मोबाइल नंबर लिखा हुआ है. यह सिर्फ इस शमशान का किस्सा नहीं है बल्कि गढ़ी मालियान, अजय नगर श्मशान, शास्त्रीनगर जैसे शहर के अन्य श्मशानों में भी मरने वाले लोगों की अस्थियां मुक्ति का इंतजार कर रही हैं. पुष्कर रोड स्थित मोक्ष धाम में कर्मचारी अमरचंद बताते हैं कि अस्थि विसर्जन को लेकर पुष्कर में पाबंदी है.

मोक्षधामों में लगा अस्थियों का अंबार

लोग हरिद्वार भी नहीं जा पा रहे हैं. इसलिए मरने वालों की अस्थियां शमशान में ही रखी जा रही हैं. उन्होंने बताया कि श्मशान में करीब 250 मरने वालों की अस्थियां पड़ी हुई हैं. इन अस्थियों को हॉल में सुरक्षित रखा गया है. श्मशान में अस्थियां रखने के लिए लॉकर नहीं है. उन्होंने बताया कि शमशान में गैस से संचालित शव दाह करने की भी व्यवस्था है. लेकिन लोग केवल लकड़ियों पर ही शव का दाह संस्कार कर रहे हैं. बातचीत में कर्मचारी अमरचंद ने बताया कि पिछले कोरोना काल से ही कई लोगों की अस्थियां श्मशान में रखी हुई हैं. उनके परिजन अभी तक उन अस्थियों को लेने नहीं आए.

थैलों में भरी हैं अस्थियां

बता दें कि पिछले लॉकडाउन के वक्त भी ऐसे ही हालात बने थे. तब कई समाजसेवियों ने अस्थि विसर्जन यात्रा शुरू की थी. लेकिन इस बार कोरोना की दूसरी लहर का कहर जारी है. यही वजह है कि कोरोना मरीजों की संख्या जिस प्रकार बढ़ रही है उसी प्रकार श्मशान में भी अस्थियों का अंबार लगने लगा है.

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