अजमेर.शहर भाजपा अध्यक्ष प्रियशील हाड़ा ने जिला प्रशासन और चिकित्सा विभाग पर घोर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है. प्रेस वार्ता में हाड़ा ने जिला प्रशासन और चिकित्सा विभाग की कार्यशैली पर कई सवाल खड़े किए. प्रियशील हाड़ा ने कहा कि अजमेर जेएलएन अस्पताल के पास जब 500 जांच प्रतिदिन करने की व्यवस्था हैं. उसके बावजूद जांच के नमूने कम क्यों लिए जा रहे हैं, जबकि अजमेर रेड जोन घोषित हो चुका है.
उन्होंने सीएमएचओ और जिला अस्पताल प्रशासन पर आंकड़ों में घालमेल करने और उन्हें आमजन से छुपाने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि प्रतिदिन के आंकड़े सार्वजनिक होने चाहिए प्रतिदिन कितने सैंपल पॉजिटिव आ रहे हैं, कितने नेगेटिव आ रहे हैं और कितने पेंडिंग है और पेंडिंग की रिपोर्ट प्रतिदिन सामने आनी चाहिए.
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हाड़ा ने सवाल उठाया है कि प्रभावित क्षेत्रों में प्रति व्यक्ति कोरोना चेन की पकड़ हो रही है और उस पूरी चेन के व्यक्तियों के कोरोना जांच सैंपल और स्क्रीनिंग कितनी हो रही है ?. उनका आरोप है कि प्रवासी मजदूर छात्र और अन्य परिवार जो अजमेर में लॉकडाउन की वजह से फंस गए हैं, उनके जाने की व्यवस्था को लेकर प्रशासन घोर लापरवाही बरत रहा है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था की है. लेकिन, प्रशासन केवल अपनों और पहचान वालों को ही पास जारी कर रहा है.
हाड़ा ने प्रशासन के कार्यशैली की निंदा करते हुए कहा कि दरगाह क्षेत्र में लगभग 2500 जायरीन फंसे हुए 6 और जानकारी होने पर भी प्रशासन ने दरगाह क्षेत्र से उनके लिए कोई व्यवस्था नहीं की. इस प्रकार से ही अपने घर लौटने वाले जायरीन की थर्मल स्क्रीनिंग की गई, जबकि कोरोना बीमारी में जरूरी नहीं है कि बुखार आए, ऐसे में कई संक्रमित मरीज यहां से अन्य स्थानों पर चले गए और उनकी वजह से वहां अन्य लोगों को संक्रमित होना पड़ा तो इसकी जवाबदेही प्रशासन की होगी.
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उन्होंने यह भी कहा कि प्रशासन ने ट्रेन कोलकाता भेजी. यदि ट्रेन को योजनाबद्ध तरीके से भेजा जाता तो कोलकाता से अजमेर के फंसे हुए लोगों मजदूर एवं छात्रों को भी वापस लाया जा सकता था. हाड़ा ने कहा कि प्रशासन में अधिकारियों के बीच आपस में ही तालमेल नहीं है.
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हाइड्रोलिक खाद्य वितरण को लेकर भी प्रशासन पर घोर लापरवाही का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि किसी को तीन बार राशन सामग्री मिल गई है और किसी को बिल्कुल नहीं मिली. जनप्रतिनिधियों की ओर से लगातार बीएलओ की शिकायत करने पर भी इस और प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया. हाड़ा ने प्रशासनिक अधिकारियों पर मनमानी करने और चिकित्साकर्मियों की राय को नजरअंदाज करने का भी आरोप लगाया और महिला चिकित्सक के साथ हुए दुर्व्यवहार के मामले में प्रशासनिक अधिकारी के खिलाफ कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं किए जाने की भी बात कही.