अजमेर. धार्मिक नगरी अजमेर में सभी धर्म और संप्रदाय का संगम देखने को मिलता है. यही वजह है कि अजमेर मिनी इंडिया के रूप में भी जाना जाता है. नवरात्रि में यहां दुर्गा पूजा पर विशेष आयोजन के साथ ही आकर्षक पंडाल भी सजाए जाते हैं, लेकिन पर्व पर बंगाली हिन्दू समाज का आयोजन लोगों के लिए मुख्य आकर्षण रहता है. समाज की ओर से 94 वर्षों से नवरात्रि पर बंगला परंपरा (Bengali Hindu Society durga pooja) के अनुसार दुर्गा पूजा धूमधाम से मनाते आ रहे हैं. खास बात यह है कि दुर्गा प्रतिमा बनाने के लिए कारीगर मिट्टी कलकत्ता में भी गंगा नदी से ही लाई जाती है. तीन पीढ़ी से कारीगर कलकत्ता से हर वर्ष अजमेर आकर (Artisans from Kolkata came to make sculptures) बंगाली हिन्दू समाज के लिए दुर्गा की प्रतिमा बनाती है.
शारदीय नवरात्र 26 सितंबर से शुरू होने जा रहा है. नौ दिन माता की आराधना और अनुष्ठान होंगे. अजमेर में भी शारदीय नवरात्र को लेकर लोगों में विशेष उत्साह है. नवरात्र पर धार्मिक परंपरा के अनुसार लोग माता की पूजा-अर्चना करते हैं. इनमें बंगाली हिन्दू समाज के आयोजन विशेष रहते हैं. पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा का विशेष महत्व है. अजमेर में भी बंगाली हिन्दू समाज नवरात्र पर्व पर अपनी 94 वर्ष पुरानी परंपरा और संस्कृति के अनुसार दुर्गा पूजा उत्सव मनाते हैं.
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कचहरी रोड पर बंगाली गली स्थित बंगाली धर्मशाला 100 बरस पुरानी है. यहां 94 वर्षो से दुर्गा पूजा का विशेष आयोजन होता आ रहा है. इस बार 95वें वर्ष में दुर्गा पूजा के भव्य कार्यक्रम की तैयारी की जा रही है. बंगाली परंपरा अनुसार ही बंगाली हिंदू समाज षष्ठी के दिन दुर्गा माता का आवाहन करते हैं.
सुबह-शाम पूजा के बाद मां की महाआरती
समाज के सचिव तरुण चटर्जी ने बताया कि सन 1928 में कई प्रबुद्ध लोग बंगाल से आकर अजमेर में बस गए थे. वह रेलवे और एचएमटी फैक्ट्री में काम करते थे. वहीं कई चिकित्सक भी यहां आकर बस गए. चटर्जी ने बताया कि स्वामी विवेकानंद की प्रेरणा से बंगाली समाज ने अजमेर में 94 वर्ष पहले दुर्गा पूजा उत्सव मनाने की शुरुआत की थी. उन्होंने बताया कि षष्ठी से लेकर दसवीं तक दुर्गा पूजा की धूम रहती है. प्रत्येक दिन सुबह शाम माता की पूजा-अर्चना के बाद महा आरती की जाती है.