अजमेर.एचआईवी से संक्रमित मरीजों की संख्या हर साल बढ़ रही है. साल 2011 से 2019 तक अजमेर में एचआईवी से संक्रमित मरीजों की संख्या लगभग 5 हजार हो चुकी है. एचआईवी की रोकथाम के लिए चलाए जा रहे जागरुकता अभियान के बावजूद मरीजों की बढ़ती संख्या में कोई कमी नहीं आई है. बल्कि हर साल सरकारी आंकड़ों में औसतन 600 नए मरीजों का इजाफा हो रहा है.
अजमेर में HIV के रोकथाम के लिए चलाया जा रहा जागरुकता अभियान बता दें कि एचआईवी लाइलाज बीमारी है, इसके संक्रमण में आने पर एक स्वस्थ व्यक्ति 10 सालों में एड्स का रोगी बन जाता है. एचआईवी संक्रमण से बचने का महज एक ही माध्यम है. स्वयं की ओर से बरती गई सावधानी. एचआईवी की रोकथाम के लिए साल भर जागरुकता अभियान चलाए जाते हैं. मगर आंकड़ों को देखें तो चलाए जा रहे अभियान में असर दिखाई दे रहे हैं. अजमेर जिले में एड्स से अब तक 239 मौतें हो चुकी है. यह तो सरकारी आंकड़े हैं, वैसे तो एड्स से होने वाली मौतों का आंकड़ा कहीं ज्यादा है.
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जिले में एचआईवी संक्रमण से ग्रस्त औसतन हर रोज 35 से 40 और साल में 600 नए मरीज सामने आ रहे हैं. ऐसे में सवाल यह उठता है कि एचआईवी की रोकथाम के लिए चलाए जा रहे जागरुकता अभियान को लेकर सरकार गंभीर भी है या नहीं. बता दें कि विश्व में 33.5 मिलियन, देश में 22 लाख और राजस्थान में 1 लाख 3 हजार 148 एचआईवी संक्रमण के रोगी सामने आ चुके हैं. राजस्थान में हर साल 5 हजार एचआईवी पॉजिटिव नए मरीज सामने आ रहे हैं.
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राजस्थान में हर साल सबसे ज्यादा एचआईवी पॉजिटिव मरीज भीलवाड़ा में पाए जाते हैं. वहीं अजमेर जिले में ब्यावर में एचआईवी मरीज ज्यादा सामने आ रहे हैं. अजमेर के जेएलएन अस्पताल में आईसीटीसी केंद्र की प्रभारी डॉ. ज्योत्स्ना चंदवानी ने बताया कि मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए एचआईवी को लेकर लोगों में पहले से अधिक जागरुकता अभियान चलाए जाने की आवश्यकता है. वहीं संक्रमण से ग्रस्त लोगों की काउंसलिंग को प्रमुखता से लिया जाना चाहिए.
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एचआईवी से बचने के लिए सावधानी बहुत ही जरूरी है. एचआईवी संक्रमण 4 वजह से ही फैलता है. बताया जाता है कि एचआईवी एक जानलेवा वायरस है जो इंसान के खून को संक्रमित करता है. वायरस संक्रमित व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता को नष्ट कर देता है, जिससे रोगी को कई अन्य बीमारियां लग जाती हैं और उसकी मौत हो जाती है.
एचआईवी संक्रमण 4 वजह
- रक्त और रक्त उत्पाद
- संक्रमित सूई और सीरींज के साजा उपयोग
- संक्रमित गर्भवती माता से उसके शिशु को
- असुरक्षित यौन संबंध
अजमेर में 2011 से 2019 तक के सरकारी आंकड़े:
साल | सरकारी आंकड़े | गर्भवती महिलाएं |
2011-12 | 667 नए मरीज | 46 गर्भवती महिलाएं |
2012-13 | 598- नए मरीज | 58 गर्भवती महिलाएं |
2013-14 | 682- नए मरीज | 34 गर्भवती महिलाएं |
2014-15 | 605-नए मरीज | 31 गर्भवती महिलाएं |
2014-15 | 605-नए मरीज | 44 गर्भवती महिलाएं |
2016-17 | 603-नए मरीज | 34 गर्भवती महिलाएं |
2017-18 | 460-नए मरीज | 39 गर्भवती महिलाएं |
2018-19 | 460-नए मरीज | 41 गर्भवती महिलाएं |
एचआईवी संक्रमण को लेकर लोग आज भी बात करने से कतराते हैं समाज में एचआईवी को लेकर जागरुकता की काफी कमी है. एक बार कोई व्यक्ति एचआईवी संक्रमण का शिकार हो गया तो उससे यह जानलेवा वायरस अन्य को भी फैलने का खतरा रहता है. लिहाजा एचआईवी से संक्रमित व्यक्ति की काउंसलिंग होना सबसे ज्यादा जरुरी है. अजमेर आईसीटीसी सेंटर में काउंसलर रितेश सैमसन बताते हैं कि हर संक्रमित व्यक्ति कि अपनी मनोदशा एवं परिस्थितियां होती है. काउंसलिंग के जरिए संक्रमित व्यक्ति को बीमारी से लड़ने एवं संक्रमण नहीं फैलाने वाले सभी महत्वपूर्ण बिंदुओं से अवगत करवाया जाता है.