अजमेर. कुछ अच्छा करने की चाहत और लगन हर मुश्किल काम को भी आसान बना देती है. कुछ ऐसा ही कर दिखाया है अजमेर निवासी अरुण अरोरा ने. जिले के तोपदड़ा निवासी अरुण अरोड़ा ने घर की छत पर सब्जी फार्म विकसित कर नजीर बन गए है. अरुण के फार्म पर महंगी और ऑर्गेनिक सब्जियां दोनों हैं. इनमें कई सब्जियां ऐसी भी है, जो बाजार में नहीं मिलती. खास बात यह है कि छत पर सब्जी फार्म विकसित करने के लिए अरुण अरोड़ा ने किसी विशेषज्ञ से प्रशिक्षण भी नहीं लिया. बल्कि इंटरनेट की सहायता से इजरायली पद्धति वाले हाइड्रोपोनिक्स पद्धति से छत पर फार्म खुद ही विकसित किया है.
बता दें कि तोपदड़ा निवासी अरुण अरोड़ा अपने मकान की छत पर सब्जियां उगा रहे है. खास बात यह कि इन सब्जियों को उगाने के लिए जमीन, मिट्टी की जरूरत नही है. वहीं सब्जियों के पौधों को विकसित करने के लिए बहुत ही कम पानी का उपयोग किया जा रहा है. अरुण ने मकान की छत पर 30 फीट क्षेत्र में ही यह सब मुमकिन करके दिखाया है. सालभर पहले अरुण ने इंटरनेट पर इजरायल की हाइड्रोपोनिक्स पद्धति के बारे में पढ़ा था. उसके बाद उन्होंने छत पर सब्जी उगाने के लिए प्रयत्न शुरू कर दिए. अरुण ने इंटरनेट से हाइड्रोपोनिक्स पद्धति को सीखा. फिर सब्जी फार्म के लिए सभी आवश्यक चीजों को सिर्फ जुटाया ही नहीं बल्कि उनकी फिटिंग भी स्वयं की.
इतने प्रयासों के बाद कुछ नया करने की चाहत से मकान की छत पर सब्जी फार्म विकसित करने में अरुण अरोड़ा को सफलता भी मिली. अरुण के सब्जी फार्म में सभी तरह की सब्जियां मिल जाती है. जैसे ब्रोकली, ब्रिंजल, लाल भिंडी, चार किस्म की मिर्च जैसी कई महंगी सब्जियां उन्होंने फार्म पर ना केवल उगाई है बल्कि उनका परिवार इन ऑर्गेनिक सब्जियों का उपयोग भी कर रहा है.
हैरानी की बात तो यह है की अरुण के पूरे खानदान में कोई किसान नही है ना ही किसी ने कभी खेती की है. वे खुद भी रेडीमेड कपड़ो के व्यवसायी है. अरुण बताते है कि बाजार में मिलने वाली सब्ज़ियों को घातक रसायन का छिड़काव कर पैदा किया जाता है जो शरीर को स्वस्थ रखने की बजाय नुकसान पहुचाती है. इसलिए उन्होंने परिवार के स्वास्थ्य के लिए इजरायली हाइड्रोपोनिक्स पद्धति को इंटरनेट के माध्यम से सीखा और अब उनका परिवार हाइड्रोपोनिक्स पद्धति से उगी सब्जियों का उपयोग करता है.
अरुण बताते है कि छत पर सब्जी फार्म विकसित करने के लिए उन्होंने 20 फिट और 10 फ़ीट के पाइप जुटाए. इन पाइपों में पानी के लिए दो 100 लीटर के ड्रम लगाए. इन पाइपों में कई छेद किये और उनमें पौधों को लगाया. पौधों को विकसित करने के लिए कोको पिट का उपयोग किया, ताकि पौधे अपनी जड़ें पकड़ सके. पाइप में बहता पानी इन पौधों को पोषण देता है. अरुण बताते है कि पूरे फार्म के लिए 25 दिन में महज दो बाल्टी पानी उपयोग में आता है.