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गरीबों के लिए खुली है 'अन्नपूर्णा जनता रसोई', रोजाना उपलब्ध करवा रही है गुणवत्तापूर्ण भोजन - covid-19

कोरोना संकट के बीच गरीब और बेसहारा लोगों की मदद के लिए कई हाथ आगे आ रहे हैं. इसी कड़ी में अजमेर के गांव दौराई में सरपंच पति चंद्रभान गुर्जर और उनकी टीम की ओर से भी अन्नपूर्णा जनता रसोई चलाई जा रही है. जिसके अंर्तगत पिछले 12 दिनों से 750 लोगों को एक समय का भोजन दिया जा रहा है.

अन्नपूर्णा जनता रसोई, Annapurna Janata rasoi
अन्नपूर्णा जनता रसोई

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Published : Apr 7, 2020, 3:36 PM IST

Updated : Apr 7, 2020, 3:41 PM IST

अजमेर.कोरोना वायरस को लेकर लॉकडाउन जारी है. इस दौरान सबसे ज्यादा मार बेसहारा और श्रमिकों पर पड़ रही है. ऐसे लोगों के लिए कई भामाशाह और सामाजिक संस्थाएं मदद का हाथ बढ़ा रही हैं. शहर ही नहीं ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूक लोग 'कोई भूखा ना सोए' इस सोच के साथ जुटे हुए हैं.

गरीबों के लिए खुली है 'अन्नपूर्णा जनता रसोई'

शहर के निकट गांव दौराई दो हाईवे के बीच स्थित हैं. यहां श्रमिकों की संख्या ज्यादा है. वहीं अन्य जिलों और राज्यों के श्रमिक भी गांव की सरहद पर रह रहे हैं. लॉकडाउन की वजह से सबसे ज्यादा मार बेसहारा और श्रमिकों पर पड़ी है. ऐसे में दौराई गांव के सरपंच पति चंद्रभान गुर्जर और उनकी टीम पिछले 12 दिन से गांव में 750 बेसहारा और गरीब लोगों को एक समय का गुणवत्तापूर्ण भोजन उपलब्ध करवा रही है.

गांव में अन्नपूर्णा जनता रसोई बनाकर चंद्रभान गुर्जर और उनकी टीम खाना बनाने से लेकर लोगों को खाना वितरण करने का बीड़ा उठाए हुए है. ईटीवी भारत ने दौराई गांव का जायजा लिया, तो पाया कि बेसहारा गरीब लोगों के लिए अन्नपूर्णा जनता रसोई वरदान साबित हो रही है.

अन्नपूर्णा रसोई की शुरुआत लॉकडाउन के बाद 5 हजार रुपए के साथ हुई थी. फिर उन्होंने गांव के भामाशाहों को सोशल मीडिया के माध्यम से सहयोग की अपील की. चंद्रभान गुर्जर बताते हैं कि लोगों से अन्नपूर्णा जनता रसोई में सहयोग के लिए पैसा नहीं मांगा गया. बल्कि खाद्य सामग्री उपलब्ध करवाने के लिए आग्रह किया गया.

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जिसके बाद लोग बढ़-चढ़कर अन्नपूर्णा जनता रसोई में सहयोग कर रहे हैं. चंद्रभान गुर्जर ने कहा कि 14 अप्रैल तक लॉकडाउन है, यदि यह लॉकडाउन आगे भी बढ़ता है. तब भी अन्नपूर्णा जनता रसोई का काम जारी रहेगा. बता दें कि अन्नपूर्णा जनता रसोई में खाना बनाने के लिए श्रमिक नहीं रखे गए हैं. बल्कि सरपंच पति और उनकी 10 सदस्य टीम के लोग ही खाना बनाते हैं और उन्हें बेसहारा गरीब और श्रमिक परिवारों तक पहुंचाते हैं. इसके लिए उन्हें सुबह से काम पर जुटना होता है और देर शाम तक वह इसी कार्य में जुटे रहते हैं.

Last Updated : Apr 7, 2020, 3:41 PM IST

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