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SPECIAL : अजमेर की ऐतिहासिक आनासागर झील अतिक्रमण का शिकार...संरक्षण के लिए भाजपा चलाएगी जन आंदोलन

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Published : Mar 29, 2021, 7:39 PM IST

अजमेर की सुंदरता को चार चांद लगाने वाली मानव निर्मित आना सागर झील सिमटती जा रही है. भारतीय जनता पार्टी का कहना है कि झील के चारों तरफ अतिक्रमण किया जा रहा है. झील तक पानी लाने वाले बरसाती नाले भी अतिक्रमण का शिकार हैं. झील के आस-पास पाथ-वे बनाने की आड़ में अतिक्रमण को प्रश्रय दिया जा रहा है.

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अतिक्रमण का शिकार ऐतिहासिक झील

अजमेर. आनासागर झील के चारों तरफ लगातार अतिक्रमण हो रहा है. भू माफियाओं ने भी मिट्टी डालकर झील को कब्जाने की लगातार कोशिश कर रहे हैं. आनासागर झील के संरक्षण का मुद्दा विधानसभा में भी उठा चुका है. भाजपा इसके लिए जन आंदोलन खड़ा करने की बात कर रही है. देखिये रिपोर्ट

अतिक्रमण का शिकार ऐतिहासिक झील

अजमेर की प्यास बुझाने के लिए बनी ऐतिहासिक मानव निर्मित झील पिछले 59 वर्षों से उपेक्षा की शिकार होती आ रही है. झील तक पहुंचने वाले 15 नालों के साथ-साथ डूब क्षेत्र और बहाव एरिया में लोगों और सरकारी एजेंसियों तक ने निर्माण कर डाले. झील के अस्तित्व को खतरा पैदा हो गया है.

झील के लिए भाजपा चलाएगी जन आंदोलन

अब्दुल रहमान बनाम सरकार केस में झील को अतिक्रमण मुक्त करने की मुहिम चली जरूर. लेकिन खानापूर्ति साबित हुई. अदालत के आदेशों की पालना हो तो झील के पुराने स्वरूप में आने की उम्मीद है.

झील को अतिक्रमण मुक्त कर पुराने स्वरूप में लौटाना चुनौती

शहर के बीच यह झील रक्त रंजित भूमि पर बनी है. कभी चौहान राजा अर्णोराज ने यमनी के सुल्तान के आक्रमण को विफल किया था. अर्णोराज ने बाद में इस स्थान को खुदवा कर 1135 ई में झील का निर्माण करवाया. तब झील 12 मील तक फैली थी. आज ये सिमटकर 2 से 3 किलोमीटर के दायरे में रह गयी है.

झील के लिए भाजपा चलाएगी जन आंदोलन

यह है झील के कैचमेंट एरिया

झील के बहाव क्षेत्र में रातीडांग, नौसर, चौरसिया वास, कोटड़ा, हाथी खेड़ा बोराज, काजीपुरा, अजयसर, खरेकड़ी गांव के साथ नागफनी, राम नगर, प्रेम नगर आते हैं. इन क्षेत्रों से बरसाती पानी नालों के माध्यम से झील तक पहुंचता रहा है.

सरकारी एजेंसिंयां तक कर रही अतिक्रमण

प्रशासन की अनदेखी और लापरवाही के चलते झील तक आने वाले नाले अतिक्रमण का शिकार होते गए. आज स्थिति यह है कि झील में बरसाती पानी की आवक नहीं के बराबर हो गई है.

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वर्तमान में जो पानी आ रहा है वह शहर की बस्तियों का गंदा और प्रदूषित पानी है. झील की वर्तमान दुर्दशा के लिए सरकारी एजेंसियां भी जिम्मेदार हैं. आखरी बार हुए सर्वे में 130 आवास ऐसे पाए गए जो डूब क्षेत्र में बने हुए हैं.

भाजपा ने विधानसभा में उठाया झील का मुद्दा

इनमें सर्कुलर रोड स्थित सभी वाणिज्य मॉल, आवासन मंडल के वैशाली नगर सेक्टर 3 तथा इसके नीचे बने आवास, गैस एजेंसी का गोदाम, महेश्वरी पब्लिक स्कूल के सामने स्थित मंदिर और आवास, आदर्श विद्या मंदिर, ट्रीटमेंट प्लांट, पुरानी विश्राम स्थली, चामुंडा कॉलोनी, अरिहंत कॉलोनी, महावीर कॉलोनी का अधिकांश हिस्सा झील के डूब क्षेत्र में आता है.

कैचमेंट एरिया को भी किया ब्लॉक

यूआईटी के पूर्व चेयरमैन और भाजपा के वरिष्ठ नेता धर्मेश जैन ने बताया कि अजमेर स्मार्ट सिटी लिमिटेड पाथ-वे बनाने की आड़ में अतिक्रमियों को जीवनदान दे रहा है. उन्होंने कहा कि पिक एंड चूज की पॉलिसी खत्म होनी चाहिए.

आनासागर झील - एक नजर

आनासागर झील के बारे में तथ्य

अजमेर उत्तर से विधायक और वसुंधरा सरकार में शिक्षा राज्य मंत्री रहे वासुदेव देवनानी ने झील को बचाने के लिए मुद्दा विधानसभा में भी उठाया. देवनानी ने कहा कि झील की भराव क्षमता को कम करना अन्याय पूर्ण है. झील के चारों तरफ पाथ-वे बनना शहर का ड्रीम प्रोजेक्ट था.

पाथ-वे के नाम पर अतिक्रमण को बढ़ावा

लेकिन इसकी आड़ में झील में मिट्टी डालकर कब्जा किया गया है. देवनानी ने कहा कि उन्होंने कलेक्टर से आग्रह किया है कि वे आनासागर झील की मौका स्थिति देखें. देवनानी ने कहा कि केंद्र सरकार को झील को बचाने के लिए लिखा जाएगा और जन आंदोलन खड़ा किया जाएगा.

कभी 12 मील में था विस्तार, आज 2-3 किमी में सिमटी आना सागर

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देवनानी ने पाथ-वे बनाने के तरीके को लेकर कहा कि यह झील संरक्षण अधिनियम एवं सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के खिलाफ है. उन्होंने कहा कि पाथ वे कि डिजाइन न तो घूमने के लिए ठीक है और न सुरक्षा की दृष्टि से.

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