अजमेर. जिले के ब्यावर शहर में 7 वर्षीय नाबालिग बच्ची के साथ गैंगरेप के मामले में दो आरोपियों (Imprisonment to two accused of gangrape in Byawar) को पॉक्सो की विशेष अदालत संख्या 1 ने अंतिम सांस तक आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. दोनों आरोपियों को 74 हजार रुपए के आर्थिक दंड से भी दंडित किया गया है. मामले में कुल 5 आरोपी थे. इनमें से साक्ष्य के अभाव में 3 आरोपियों को कोर्ट ने बरी किया है.
जिले के ब्यावर शहर में आरोपियों ने मां के साथ सो रही बच्ची को उठाकर जंगल ले जाकर गैंग रेप किया था. विशिष्ट लोक अभियोजक रूपेंद्र परिहार ने बताया कि पुलिस ने पीड़ित बालिका का मेडिकल बोर्ड से जांच करवाई थी. मेडिकल रिपोर्ट में बालिका के साथ जबरन गैंग रेप होने की पुष्टि हुई थी. उन्होंने बताया कि अभियोजन पक्ष की ओर से 16 गवाह और 133 दस्तावेज कोर्ट में पेश किए गए थे. बालिका को स्कूटर पर बैठा कर ले जाने और वापस छोड़ने का आरोपियों का सीसीटीवी फुटेज भी पुलिस ने कोर्ट में पेश किया था.
प्रकरण में कोर्ट की टिपण्णी:आरोपियों को सजा सुनाए जाने के बाद कोर्ट ने अपने फैसले पर टिप्पणी करते हुए लिखा है कि ये घृणित अपराध है. यदि अपराधियों के साथ नरमी का रुख अपनाया जाए तो समाज में गलत संदेश जाएगा. अपराधियों को अधिकतम से अधिकतम कठोर दंड से दंडित किया जाना उचित है.
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ये था मामला:14 जून 2019 ब्यावर में 7 साल की मासूम अपनी मां के साथ सो रही थी. इस दौरान आरोपी कुशाल सिंह रावत और महेंद्र सिंह रावत बच्ची को की मां के पास से उठाकर जंगल ले गए और नाबालिग बच्ची के साथ बलात्कार किया. घटना को अंजाम देने के बाद दोनों आरोपी बच्ची को वापस घर पर छोड़ दिया. रात को बच्ची के रोने पर मां की नींद खुली. बच्ची के प्राइवेट पार्ट से खून बह रहा था और शरीर पर कई जख्म भी थे.
पीड़िता की मां ने पिता को जगाकर सारी बात बताई. उस वक्त ही रात को गश्त कर रही पुलिस की गाड़ी घर के करीब से गुजरी तब माता पिता ने बच्ची के साथ हुई घटना के बारे पुलिसकर्मियों को बताया. अस्पताल में 7 दिन तक पीड़िता का उपचार किया गया. पुलिस ने प्रकरण दर्ज कर मेडिकल बोर्ड से पीड़िता की जांच करवाई. वहीं दूसरी ओर आरोपियों की पहचान करने के लिए क्षेत्र में लगे सीसीटीवी फुटेज खंगाले गए. पुलिस को सीसीटीवी फुटेज में बच्ची को स्कूटर पर बैठा कर आरोपी ले जाते हुए मिल गए.
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सीसीटीवी फुटेज के आधार पर पुलिस ने अपनी जांच शुरू की और आरोपियों की पहचान कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया. पुलिस अनुसंधान में कुशाल सिंह रावत, महेंद्र सिंह रावत, पुष्पेंद्र सिंह रावत, हरि सिंह रावत और गजेंद्र सिंह रावत को गिरफ्तार किया गया. पीड़िता बच्ची के स्वस्थ होने पर पुलिस ने आरोपियों की जेल में शिनाख्त परेड भी करवाई. 19 अगस्त 2019 को आरोपियों के खिलाफ पुलिस ने कोर्ट में आरोप पत्र पेश किया. 30 नवंबर 2019 को पुलिस ने कोर्ट में चार्जशीट पेश की.
तीन आरोपियों के खिलाफ नहीं मिले साक्ष्य:विशिष्ट लोक अभियोजक रूपेंद्र परिहार ने बताया कि प्रकरण में कुशाल सिंह और महेंद्र सिंह को कोर्ट ने अंतिम सांस तक आजीवन कारावास की सजा और 74 हजार रुपए के आर्थिक दंड से दंडित किया है. जबकि पुलिस पत्रावली में साक्ष्य के अभाव में आरोपी पुष्पेंद्र सिंह रावत, हरि सिंह रावत और गजेंद्र सिंह रावत को बरी कर दिया है.