अजमेर.न्यू ईयर सेलीब्रेशन की बात हो और केक न काटा जाए ऐसा हो ही नहीं सकता. केक काटना एक परंपरा बन चुकी है, केक की मिठास के साथ नए साल की शुरुआत की जाती है. वहीं केक की बात हो अजमेर के स्वादिष्ट केक की बात नहीं हो, तो जिक्र अधूरा ही माना जाएगा. अजमेर में अंग्रेजों के जमाने की कई प्रसिद्ध बेकरी हैं, जहां की केक की मिठास नए साल की शुरुआत को और भी मीठा कर देता था लेकिन इस साल कोरोना के कारण पार्टियों पर रोक है. ऐसे में अजमेर का केक की मिठास नए साल पर फीकी रह जाएगी.
नए साल पर भी अजमेर के बेकरी संचालक परेशान अजमेर में अंग्रेजों के जमाने की कई बेकरी है, जिनके केक की स्वाद देश-विदेश तक धूम मचाती है. बता दें कि अजमेर में 100 से अधिक बेकरी है, जिनका बिजनेस क्रिसमस और न्यू ईयर पर खूब होता है लेकिन कोरोना ने साल भर बेकरी में होने वाली कमाई पर ब्रेक लगा दिए हैं. बेकरी व्यवसाय को कोरोना महामारी की वजह से जबरदस्त झटका लगा है.
कारीगरों का खर्च निकालना भी हुआ मुश्किल अजमेर में अंग्रेजों के जमाने से ही बेकरी व्यवसाय भी पनपा और वक्त के साथ बढ़ता भी गया. शहर में ही बडी छोटी मिलाकर करीब 100 से ज्यादा बेकरी हैं. आम दिनों से लेकर क्रिसमस और न्यू ईयर पर अजमेर में केक की भारी डिमांड रहती थी लेकिन आज बिजनेस पटरी से उतर गया है. कोरोना ने सबकुछ बदलकर रख दिया है.
30 फीसदी कम हुई बिक्री
एक तो लॉकडाउन में बेकरी मालिकों का माल खराब होने से भारी नुकसान उठाना पड़ा. वहीं अनलॉक में भी बेकरी व्यवसाय के हालात नहीं सुधार रहे हैं. हालात यह है कि क्रिसमस और न्यू ईयर जैसे खास मौकों पर भी बेकरी उत्पादों की खरीद पिछले साल की तुलना में तीस फीसदी ही हुई. खास बात यह कि कोरोना महामारी के चलते सरकार की गाइडलाइन के अनुसार 8 बजे बाद कर्फ्यू होने के कारण भी बेकरी व्यवसाय गति नहीं पकड़ पा रहा है.
खर्च निकालना भी हुआ मुश्किल
लॉकडाउन में अपने शहरों में लौट गए कारीगर वापस नहीं आए हैं. जैसे-तैसे स्थानीय कारीगरों के भरोसे बेकरी मालिक व्यवसाय चलाने की कोशिश कर रहे हैं. उनके सामने अपना पेट-पालने से लेकर कारीगरों को पगार देने की मुश्किलें आ रही हैं.
8 बजे बाद कर्फ्यू होने से भी बिक्री प्रभावित
शहर में कवंडसपुरा स्थित एक प्रसिद्ध बेकरी के मालिक नरेन शाहनी बताते हैं कि गत साल की तुलना में बेकरी व्यवसाय 30 फीसदी ही रह गया है. बेकरी के उत्पाद ज्यादातर शाम को ही बिकते हैं लेकिन सरकार के कर्फ्यू के निर्देश के बाद 7 बजे ही दुकानें बंद हो जाती हैं. उन्होंने बताया कि वैश्विक कोरोना महामारी की वजह से हर वर्ग प्रभावित हुआ है.
कोरोना के कारण बेकरी प्रोडक्ट की खरीद में कमी
केक की डिमांड कम होने से बेकरी संचालक परेशान लोग अपनी रोजी-रोटी का जुगाड़ ठीक से नहीं कर पा रहे हैं. ऐसे में बेकरी उत्पाद खरीदने में लोग कम ही रुचि दिखा रहे हैं. इसका एक कारण यह भी है कि लोगों को कोरोना महामारी का डर है. जबकि बेकरियों में पूरी सावधानी के साथ उत्पाद बनाए जाते हैं. शाहनी ने बताया कि लोगों के व्यवसाय पर काफी प्रभाव कोरोना वायरस की वजह से पड़ा है. इस कारण भी लोगों की खर्च करने की क्षमता कम हो गई है. उन्होंने कहा कि जैसे-तैसे व्यवसाय को खड़ा रखने की मशक्कत की जा रही है.
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केसरगंज में स्थित एक बेकरी के मालिक ललित कहते हैं कि बेकरी उत्पादों में 30 से 40 फीसदी खरीद में कमी आई है. न्यू ईयर के लिए ग्राहकों को रियायत और ऑफर भी दिए गए हैं. उन्होंने बताया कि क्रिसमस और न्यू ईयर की पार्टियां रात को होती है. पार्टियों पर सरकार की ओर से प्रतिबंध है. ऐसे में बेकरी उत्पादों की खरीद में भारी कमी आई है. उन्होंने बताया कि बेकरी व्यवसाय को गति देने में काफी मुश्किलें हो रही है लेकिन उम्मीद की जा रही है कि आगामी दिनों में हालात सुधरेंगे.