अजमेर.कहते हैं जोड़ियां ऊपर से बनकर आती हैं. जीवन में कई बार ऐसे संयोग बनते हैं कि हमें मनचाहा हम सफर उन्हें ऐसे मिलता है, जिसका अंदाजा लगाना मुश्किल है. अजमेर एडीएम सिटी सुरेश सिंधी और उनकी धर्म पत्नी के जीवन में विवाह से पूर्व ऐसा ही संयोग बना. ट्रेन में सफर के दौरान पहली नजर में प्यार हुआ और ट्रेन में ही शादी की बात पक्की हो गई. वैलेंटाइन डे के मौके पर ईटीवी भारत ने इस जोड़े की 32 साल पुरानी ट्रेन वाली लव स्टोरी को लेकर खास बातचीत की और उनकी प्रेम कहानी जानी.
एडीएम का ट्रेन वाला प्यार बातचीत के दौरान अजमेर एडीएम सिटी सुरेश सिंधी ने बताया कि ये साल 1986 की बात है. जब वह किसी काम से ट्रेन में सफर कर रहे थे. इस दौरान इत्तफाक से उनकी पत्नी का परिवार सामने वाली सीट पर था. सफर के दौरान ही एडीएम सिटी को सामने बैठी सुनिता से प्यार हो गया. सफर के दौरान ही सुरेश ने सुनिता का बायोडेटा सुना, जो उन्हे खुब जचां. लेकिन इस दौरान एक सुरेश ने सामने वाले सीट पर सुनिता के सिंधी परिवार की एक और बात भी सुनी. जिसके बाद उन्होंने सुनिता को ही अपनी धर्म पत्नी बनाने का मन बना लिया.
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बात कुछ ऐसी थी कि सुनिता सिंधी के पिता रेलवे में इमानदार इंस्पेक्टर थे. घर मे पांच भाई बहनों की पढ़ाई की वजह से आर्थिक तंगी रहती थी. रिश्तेदार शादी के लिए पैसा जोड़ने की कहते तो उनके पिता का जबाब होता कि कोई ना कोई तो उनकी ईमानदारी से प्रभावित होगा, जो बिना दहेज के शादी करेगा.
सुनिता सिंधी के बीए करते ही उनकी शादी के लिए लड़को की खोज शुरू हुई. इस सिलसिले में एक लड़का देखने परिवार के साथ वो मंदसौर गए. लेकिन वहां लड़के वालों ने दहेज लेने से तो इनकार कर दिया लेकिन शादी हैसियत के अनुसार करने की बात कह दी. ट्रेन में सफर के दौरान परिवार के लोगों में यही बाते सिंधी भाषा में चल रही थी. यही बात सुरेश सिंधी के दिल में घर कर गई और उन्होंने बिना दहेज लिए सुनिता ने शादी करने का मन बना लिया.
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टूथ पेस्ट के बहाने मांगा दिल...
सफर में रात से सुबह हो गई. सुनिता सिंधी ट्रैन में ब्रश करने के लिए वाशवेशन पर गई. जिसके पीछे-पीछे ब्रश लेकर सुरेश सिंधी भी पहुंच गए. सुरेश सिंधी ने अपना टूथ ब्रश आगे बढ़ाते हुए सिंधी भाषा में कहा, प्लीज थोड़ा पेस्ट मेरे ब्रश पर भी लगा दो. इस पर सुनिता ने गुस्से में चिढ़ते हुए कहा कि आप क्या क्या मांगते हो. जिसपर तपाक से सुरेश सिंधी बोल पड़े कहो तो तुम्हारे माता पिता से तुम्हे भी मांग लू. सुनीता सिंधी उन्हें देखती रह गई और ब्रश पर पेस्ट लगाकर पनी सीट पर आकर बैठ गई.
बिना देहज के की शादी ...
कुछ देर बाद सुरेश सिंधी भी अपनी सीट पर आ गए और उन्होंने सुनिता के माता पिता से उनका हाथ मांग लिया. साथ ही बिना दहेज के शादी करने की बात कही. उस समय सुरेश नौकरी भी करते थे, ऐसे में सुनिता के परिवार को लड़का पसंद आ गया. इस तरह के उस सफर में इन दोनों के जिंदगी के सफर का हमसफर मिल गया. आज शादी के 32 साल बाद भी उनके जिंदगी की रेलगाड़ी पटरी पर रफ्तार से चल रही है.