अजमेर. महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय में बुधवार को प्रबंध बोर्ड की 97वीं बैठक कुलपति प्रो. आरपी सिंह की अध्यक्षता में आयोजित हुई. बैठक में उच्च शिक्षा सचिव शुचि शर्मा ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से भाग लेते हुए कहा कि सभी विश्वविद्यालयों को अनिवार्य रूप से सभी सेमेस्टर और वार्षिक कोर्स में विद्यार्थियों को सामाजिक सरोकार से जोड़ने के लिए आनंदम पाठ्यक्रम अनिवार्य रूप से पढ़ना होगा.
विद्यार्थियों की बिना परीक्षा उत्तरीण करने की मांग पर चर्चा करते हुए शर्मा ने कहा कि हमारी शिक्षा प्रणाली में विद्यार्थियों का मूल्यांकन वर्ष के अंत में होता है. इसमें विद्यार्थी वर्ष भर की बजाए वन वीक सीरीज के माध्यम से परीक्षा तैयारी करने में अधिक रुचि रखते हैं. इसी प्रवृत्ति से निजात दिलाने के लिए सेमेस्टर प्रणाली और क्रेडिट बेस्ड सिस्टम लागू किया गया है. लेकिन कुछ विश्वविद्यालय और शिक्षक इन्हें लागू करने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं, जो चिंता का विषय है.
एमडीएसयू के प्रबंध बोर्ड की बैठक पढ़ें-मोदी कैबिनेट के फैसलों से किसानों को होगा लाभ: हनुमान बेनीवाल
प्रबंध बोर्ड की बैठक में सहारड़ा विधायक कैलाश त्रिवेदी, विधायक जायल, मंजू देवी, विश्वविद्यालय के कुलसचिव संजय माथुर, संयुक्त सचिव योजना आरएस तंवर, प्रो. शिवदयाल सिंह, प्रोफेसर सुब्रत दत्ता, डॉ. नगेंद्र सिंह, शिक्षा सचिव की प्रतिनिधि डॉ. सुनीता पचौरी उपस्थित रही. वहीं, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शिक्षा आयुक्त प्रदीप कुमार, संयुक्त सचिव डॉ. नईम मोहम्मद और डॉ. सीपी कुलश्रेष्ठ ने भाग लिया.
पढ़ें-कोविड-19 से बचाव के लिए आवासन मंडल के मुख्यालय पर सैनिटाइजेशन स्टेशन की शुरुआत
बैठक में निम्न निर्णय सर्वसम्मति से पारित किए गए
- एक विश्वविद्यालय में स्वीकृत रिक्त पदों की भर्ती हेतु राज्य सरकार से अनुमति प्राप्त की जाएगी. साथ ही इन पदों के वेतन भत्तों का आर्थिक भार विश्वविद्यालय खुद अपने स्तर पर वहन करेगा.
- आगामी सत्र से विश्वविद्यालय परिसर में संचालित एमबीए पाठ्यक्रम में प्रवेश आरमेट के बजाय विश्वविद्यालय अपने स्तर पर करेगा.
- विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की कमी के कारण आमंत्रित अथिति शिक्षक और संविदा शिक्षकों की नियुक्ति के संदर्भ में नियम बनाने के लिए समिति का गठन किया जाएगा.
- विश्वविद्यालय कर्मचारियों की पदोन्नति मसलों के निराकरण के लिए पूर्व में नियुक्त संयोजक प्रो. सीपी कुलश्रेष्ठ के स्थान पर प्रोफेसर सुब्रतो दत्ता संयोजक होंगे.
- पांच वर्ष से अधिक समय से बेदाग संचालित राजकीय और गैर-राजकीय महाविद्यालयों को ही स्थाई मान्यता देने संबंधित समिति का शीघ्र गठन किया जाएगा.
- विश्वविद्यालय कर्मचारियों के आश्रितों से विश्वविद्यालय परीक्षा में शुल्क नहीं लिया जाएगा.
- विश्वविद्यालय में किसी भी प्रकार की बेनामी शिकायत पर कोई संज्ञान नहीं लिया जाएगा.