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Special: सम्राट की नगरी में अंग्रेजों के जमाने का 'धोबी घाट', रोजाना धुले जाते हैं हजारों लोगों के कपड़े - dhobi Ghat at topdara

सम्राट पृथ्वीराज चौहान की नगरी अजमेर में एक ऐसा धोबी घाट मौजूद है. जो साल 1857 में स्थापित हुआ था. बता दें कि इस घाट को अंग्रेजों के जमाने का धोबी घाट कहा जाता है. यहां आज भी कपड़े धोने का कार्य किया जा रहा है.

स्पेशल स्टोरी, साल 1857 का धोबी घाट, dhobi ghat of 1857, तोपदड़ा में धोबी घाट, dhobi ghat at topdara, 162 years old dhobi ghat
अजमेर में आज भी मौजूद है अंग्रेजों के जमाने का धोबी घाट...

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Published : Dec 24, 2019, 1:08 PM IST

अजमेर.शहर के तोपदड़ा में 162 साल पुराना अंग्रेजों के जमाने का धोबी घाट है. यहां आज भी धोबी कपड़े धुलते हैं. यह धोबी घाट अंग्रेजों के कपड़े धोने के लिए बनाया गया था. जहां प्रत्येक कुंड के आगे एक पत्थर लगा हुआ है, जिस पर 1857 लिखा हुआ है. लेकिन समय के साथ-साथ यह पत्थर भी घिसकर अब जीर्ण-शीर्ण हो चुका है.

अजमेर में आज भी मौजूद है अंग्रेजों के जमाने का धोबी घाट...

ब्रिटिश काल में अंग्रेजों के कपड़े धोने के लिए तोपदड़ा का 'धोबी घाट' बनाया गया था, जिसके बाद आनासागर में कपड़े धोए जाने लगा. लेकिन समय के साथ कुछ साल पहले आनासागर में कपड़ों की धुलाई बंद हो गई. अब सिर्फ तोपदड़ा स्थित धोबी घाट पर ही गंदे कपड़ों की धुलाई की जाती है. जहां शहरवासियों के कपड़ों की धुलाई होती है. बता दें कि तड़के 4 बजे से ही धुलाई का कार्य शुरू हो जाता है जो रात को 7 बजे तक जारी रहता है.

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साफ-सफाई का अभाव...

धोबीघाट को आनासागर से तोपदड़ा स्थानांतरण तो कर दिया गया, लेकिन यहां किसी तरह का विकास कार्य नहीं कराया गया. जहां धोबी घाट के चारों और साफ-सफाई का काफी अभाव है. यहां कपड़ों की धुलाई से निकलने वाले पानी की निकासी की व्यवस्था भी नहीं है, जिसके कारण वह पानी आसपास ही एकत्र हो जाता है, जिसके कारण लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है.

सुविधाओं का अभाव...

शहर के तोपदड़ा स्थित चार चटाई विकास समिति के सदस्य सुरेश ढिल्लीवाल ने बताया कि यहां पर पानी की समस्या है, बिजली का कनेक्शन तक नहीं है. अंग्रेजों के समय से यहां पर कपड़े धोने का काम किया जा रहा है, लेकिन सुविधाएं नाम मात्र की भी नहीं मिलती है.

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चारो ओर बने हैं 8 कुंड...

धोबी घाट पर अंग्रेजों के समय के 8 कुंड भी बनाए. प्रत्येक कुंड के सामने शिला लेख नुमा एक पत्थर लगा है, जिसमें अधिकांश पत्थर टूट भी चुके हैं. शेष पत्थरों पर लिखी चीजें अब पढ़ी नहीं जाती. बता दें कि यहां पर प्रतिदिन हजारों लोगों के कपड़े धुले जाते हैं.

साल 1857 में बना था यह धोबी घाट...

बता दें कि तोपदड़ा स्थित धोबीघाट साल 1857 में बना था. 400 के करीब धोबी प्रतिदिन यहां कपड़े धोते हैं. कपड़े की धुलाई के कार्य से यहां 240 परिवार जुड़े हैं.

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