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अलवर में महिलाओं ने व्रत रखकर की होली की पूजा, जानें खास महत्व

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Published : Mar 28, 2021, 10:17 PM IST

हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहार होली को दो दिन मनाया जाता है. पहले दिन महिलाएं होली की पूजा अर्चना करती है. रंग वाली होली से पहले होलिका दहन किया जाता है. इसे बुराई पर अच्छाई का प्रतीक मना गया है.

Alwar news, worship Holi
अलवर में महिलाओं ने व्रत रखकर की होली की पूजा

अलवर.हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहार होली को दो दिन मनाया जाता है. पहले दिन महिलाएं होली की पूजा अर्चना करती हैं. रंग वाली होली से पहले होलिका दहन किया जाता है. इसे बुराई पर अच्छाई का प्रतीक मना गया है. अलवर सहित पूरे देश में होली धूमधाम से मनाई जा रही है. होली के दिन पूजा का खास महत्व होता है. महिलाएं व्रत रखती हैं और विधि विधान से परिवार की अन्य महिलाओं के साथ होली की पूजा करती हैं. कुछ विशेषज्ञों की मानें तो होली की पूजा बच्चों की खुशी के लिए की जाती है.

अलवर में महिलाओं ने व्रत रखकर की होली की पूजा

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हिंदू धर्म में होली का खास महत्व है. इस दिन भगवान ने अपने भक्त प्रहलाद की रक्षा की थी. होली का त्योहार 2 दिन मनाया जाता है. एक दिन होलिका का दहन होता है, तो दूसरे दिन लोग एक दूसरे को गुलाल रंग लगाकर होली की बधाई देते हैं. होलिका दहन वाले दिन महिलाएं व्रत रखती हैं. ऐसी मानता है कि जो महिलाएं इस व्रत को पूरी विधि विधान से करती हैं. उनके पुत्र को जीवन में कभी किसी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता है. होलिका दहन के लिए हर चौराहे और गली मोहल्ले में होली को सजाया जाता है.

लकड़ी उपलों और कंडो की होली के साथ सूखी हुई घास विचार लगाकर होली उखाड़ा किया जाता है, उसका पूजन करने से पहले फूल सुपारी और पैसे लेकर महिलाएं जाती हैं. इसके बाद अक्षत चंदन रोली हल्दी गुलाल फूल आधी चढ़ाती हैं. बिलुकड़ी की माला बनाई जाती है. इसके बाद होली की 3 परिक्रमा करते हुए जो, गेहूं की बाली को भूनकर इसका प्रसाद सभी लोग वितरित करते हैं.

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पंडित ब्रहमानंद शर्मा ने बताया कि होली पूजन से हर प्रकार के डर पर विजय प्राप्त होती है. इस पूजन से परिवार में सुख शक्ति और समृद्धि प्राप्त होती है. मां पुत्र को बुरी शक्तियों से बचाने और मंगल कामना के लिए यह पूजन करती है. व्रत को होलिका दहन के बाद खोला जाता है. व्रत खुलने पर ईश्वर का ध्यान कर सुख समृद्धि की कामना की जाती है. पूजन करते समय अपना मुंह उत्तर दिशा की तरफ होना चाहिए. पहले जल की बूंदों का छिड़काव अपने आसपास पूजा की थाली और खुद पर करें. उसके बाद नरसिंह भगवान का ध्यान करते हुए रोली मोली अक्षत और पुष्प अर्पित करें. अलवर में 5000 से अधिक होलिका दहन किया जाता है.

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